सबसे तेजी से बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, आईएमएफ ने बढ़ाया अनुमान
मुंबई- अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक कोष यानी आईएमएफ ने कहा है कि दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ने वाली बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.8 फीसदी है जो जनवरी में 6.5 फीसदी की तुलना में ज्यादा है। इसी अवधि के दौरान चीन की विकास दर 4.6 प्रतिशत रह सकती है।
आईएमएफ ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि घरेलू मांग में तेजी की स्थिति और कामकाजी उम्र की बढ़ती आबादी से भारत को फायदा होगा। 2025 में भारत की जीडीपी विकास दर 6.5 फीसदी रह सकती है। उभरते और विकासशील एशिया में 2024 में विकास दर घटकर 5.2 प्रतिशत और 2025 में 4.9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। 2023 में इनकी विकास दर 5.6 फीसदी रही थी।
आईएमएफ ने जनवरी में चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत लगाया था। प्रॉपर्टी में कमजोरी और खपत में धीमेपन से चीन में विकास दर 2023 में 5.2 प्रतिशत से धीमी होकर 2024 में 4.6 प्रतिशत और 2025 में 4.1 प्रतिशत होने का अनुमान है।
आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा, नीति निर्माताओं को सरकारी वित्त को मजबूत करने और आर्थिक विकास की संभावनाओं को पुनर्जीवित करने जैसे अधिक आर्थिक लचीलेपन की दिशा में कदम उठाने को प्राथमिकता देनी चाहिए। वैश्विक अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है। स्थिर विकास और महंगाई जितनी तेजी से बढ़ी, उतनी ही तेजी से धीमी भी हो रही है। महामारी के बाद आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान, यूक्रेन पर रूस के युद्ध से उत्पन्न ऊर्जा और खाद्य संकट, महंगाई में वृद्धि, इसके बाद विश्व स्तर पर मौद्रिक नीति को कड़े करने जैसी घटनाएं विकास दर पर दबाव बना रही हैं।
आईएमएफ ने इस वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अपने दृष्टिकोण को बढ़ा दिया है। इस साल दुनिया भर में विकास दर 3.2% रह सकती है जो जनवरी में अनुमानित 3.1% से थोड़ा ऊपर है। 2025 में लगातार तीसरे वर्ष 3.2% की वृद्धि की उम्मीद है। आईएमएफ को उम्मीद है कि इस साल अमेरिकी अर्थव्यवस्था 2.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी, जो जनवरी में अनुमानित 2.1 फीसदी से ज्यादा है।
दुनिया भर में कीमतों में तेज वृद्धि एक बाधा बनी हुई है। वैश्विक महंगाई पिछले साल के 6.8 फीसदी से घटकर 2024 में 5.9% और अगले साल 4.5% हो जाएगी। अकेले दुनिया की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में महंगाई 2023 में 4.6% से घटकर इस वर्ष 2.6% और 2025 में 2% हो जाएगी, जो उच्च ब्याज दरों के प्रभाव से कम हो जाएगी।