ब्याज दरों में वृद्धि से एसएमई के डिफॉल्ट होने का खतरा बढ़ा- मूडीज
मुंबई- ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते पुनर्भुगतान की रकम बढ़ गई है। इससे एसेट के बदले लोन लेने वाले लघु एवं मझोले उद्योगों (एसएमई) कर्जदारों के लिए रिफाइनेंस के विकल्प सीमित हो गए हैं। ऐसे में इन कर्ज को लेकर डिफाॅल्ट का जोखिम बढ़ गया है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को यह आशंका जाहिर की।
मूडीज ने एक रिपोर्ट में कहा, यहां तक कि अगर आरबीआई नीतिगत दरों में वृद्धि अब रोक देता है, तो भी पुनर्भुगतान के कारण एसएमई की कर्ज चुकाने की क्षमता पर बोझ पड़ेगा। साथ ही, पिछले वर्ष ब्याज दर में हुए बढ़ोतरी ने इस संभावना को कम कर दिया है कि एसेट के बदले कर्ज ले रखे कर्जदार रकम के पुनर्भुगतान में परेशानी होने पर ज्यादा आसान शर्तों पर रिफाइनेंस हासिल करने में सक्षम होंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में ब्याज दरों में बढ़ोतरी ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए वित्त पोषण की लागत में वृद्धि की है। एनबीएफसी ने लागत बढ़ने पर संपत्ति के बदले कर्ज लेने वाले छोटे और मझोले उद्यमों से संबंधित कर्जदारों के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की है। ऐसे में यह आशंका बढ़ रही है कि ये कर्ज अदा करने में चूक कर सकते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू में करने के लिए पिछले साल मई से लेकर इस साल फरवरी के बीच छह बार में रेपो दर 2.5 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया है। हालांकि, अप्रैल की बैठक में दरों को बढ़ाने का सिलसिला रोक दिया गया। इस वृद्धि के बाद एनबीएफसी ने भी कर्ज के ब्याज में भारी वृद्धि कर दी थी।