अर्थव्यवस्था के अगले वित्त वर्ष में छह फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद 

नई दिल्ली। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि पिछले आठ साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के सुधारों के कारण भारत ऊंची वृद्धि दर की राह पर बना रहेगा। अगले वित्त वर्ष (2023-24) में देश की अर्थव्यवस्था के 6 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ आने वाली मंदी से आने वाले समय में बड़े जोखिम भी सामने आएंगे। 

कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था के नीचे की ओर जाने को लेकर कई जोखिम हैं। विशेषरूप से अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य इसकी एक प्रमुख वजह है। हमें इन चुनौतियों का सामना सावधानी से तैयार नीतिगत उपायों के जरिये निर्यात के प्रयासों को समर्थन देकर करना होगा। हमें विदेशी स्रोतों से निजी निवेश का प्रवाह बढ़ाना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहेगी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर सात फीसदी रह सकती है। 

कुमार ने कहा, सर्दियों की अच्छी फसल खाद्य कीमतों को कम रखने में मदद करेगी। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा महंगाई दरके अनुमान को 6.7 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है। जनवरी में यह 6.52 फीसदी रही थी। उन्होंने कहा, भारत को चीन के बाजार में अधिक अवसर और पहुंच के लिए उसके साथ फिर से जुड़ना चाहिए। कई उत्पाद हैं जो हमारा देश चीन को अधिक मात्रा में निर्यात कर सकता है। 

अदाणी मामले में, कुमार ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी आवश्यक है। मुझे नहीं लगता कि एक निजी पारिवारिक कंपनी के साथ इस तरह की एक घटना से उस प्रयास में बाधा आएगी। बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र की कंपनियां हैं जिन्होंने अतीत में बुनियादी ढांचे के विकास में भाग लिया है और आगे भी ऐसा करना जारी रखेगी। 

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