मल्टी एसेट में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल का दमदार प्रदर्शन, एक साल में 11 फीसदी रिटर्न
मुंबई- मौजूदा दौर में हम उच्च महंगाई, उच्च ब्याज दरों, कम तरलता, उच्च अस्थिरता और भू-राजनीतिक चिंताओं के चलते एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में निवेश के लिए आपको कई संपत्तियों में निवेश करना चाहिए। इससे आपका घाटे का जोखिम कम हो सकता है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) एस नरेन का मानना है कि किसी निवेशक के लिए सभी परिसंपत्तियों के वर्गों में निवेश करने का सबसे आसान तरीका मल्टी-एसेट फंड है। इस एक फंड में एक ही कैटेगरी के माध्यम से तीन या अधिक संपत्तियों में आप निवेश कर सकते हैं। यह फंड इक्विटी में 10-80 फीसदी, डेट में 10-35 फीसदी, गोल्ड में 10-35% और रीट एवं इनविट में 0-10% निवेश करता है। विभिन्न एसेट क्लास में निवेश करने की इस तरह की रणनीति का उद्देश्य इक्विटी में निवेश करके पूंजी बढ़ाना, डेट में निवेश करके स्थिरता और अच्छा रिटर्न अर्जित करना है। सोने में निवेश करके महंगाई से बचाव करना है।
चूंकि इसमें रुझान से हटकर फैसले लिए जाते हैं और संपत्तियों का मिला जुला निवेश होता है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़े बताते हैं कि अगर किसी निवेशक ने स्थापना (अक्तूबर, 2002) के बाद से आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के मल्टी एसेट फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी के माध्यम से 10,000 रुपये का निवेश मासिक किया होगा तो उसका कुल निवेश 24.4 लाख रुपये रहा होगा। जबकि इसका मूल्य 1.9 करोड़ रुपये के करीब होगा। दमदार रिटर्न देने में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल रहा है। इसने एक साल में 11 फीसदी, एचडीएफसी मल्टी ने 4.9 फीसदी, निप्पान इँडिया ने 4.8 फीसदी, एसबीआई मल्टी ने 4.2 फीसदी और यूटीआई ने 3 फीसदी का रिटर्न दिया है।
फंड की इस स्कीम ने 5 वर्ष और 10 वर्ष की अवधि में कभी भी नकारात्मक रिटर्न नहीं दिया है। स्थापना के बाद से इसका नेट असेट वैल्यू यानी एनएवी लगभग 48 गुना बढ़ गया है। जब पोर्टफोलियो निर्माण की बात आती है, तो इक्विटी के मामले में यह स्कीम लार्ज, मिड और स्मॉल कैप में निवेश कर सकती है। वृद्धि या वैल्यू स्टाइल के विपरीत इसके निवेश के तरीके अलग होते हैं। इसे अक्सर कैटेगरी के अन्य फंडों द्वारा अपनाया जाता है।
इस फंड में इक्विटी में निवेश इक्विटी वैल्यूएशन मॉडल द्वारा निर्धारित किया जाता है, जहां दिशात्मक कॉल के आधार पर हमें आर्थिक चक्र में रखा जाता है। इसके अलावा, स्कीम समग्र पोर्टफोलियो का रिटर्न बढ़ाने और महंगाई को पीछे छोड़ने के उद्देश्य के लिए तेल, सोना, चांदी जैसी वस्तुओं के लिए रणनीतिक निवेश का फैसला ले सकती है। स्कीम वर्तमान में इक्विटी में ज्यादा निवेश कर रही है, क्योंकि आर्थिक रिकवरी चालू है।
भारतीय बाजार में इस समय भारी उतार-चढ़ाव है। विश्लेषकों का मानना है कि इस साल में इक्विटी में बहुत ज्यादा रिटर्न नहीं मिल सकता है। हालांकि इस समय बाजार का मूल्यांकन सस्ता है और अब निवेश का फायदा अगले कुछ साल में मिल सकता है। पिछले साल भी शेयर बाजार से पांच फीसदी से कम ही निवेश मिला है। 31 जनवरी, 2023 तक स्कीम का इक्विटी में निवेश 66.8 फीसदी, डेट में 29.3 फीसदी, सोना में 3.1 फीसदी और रीट एवं इनविट में 0.8 फीसदी पर है। पोर्टफोलियो में शीर्ष चार सेक्टरों में बैंक, ऊर्जा, ऑटो और सॉफ्टवेयर शामिल हैं।