अदाणी समूह ने 413 पन्नों में दिया हिंडनबर्ग के आरोपों का जवाब, पढ़िए
मुंबई- अदाणी समूह ने हिंडनबर्ग के आरोपों को भारत, इसकी संस्थाओं, देश की विकास की गाथा और इसकी महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला करार दिया। अदाणी ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट न तो स्वतंत्र है और न ही गहरे शोध के बाद तैयार की गई है। सभी आरोप झूठ के सिवा कुछ नहीं है। 413 पन्नों के जवाब में अदाणी समूह ने रिपोर्ट में उठाए गए सभी 88 सवालों का जवाब भी दिया है।
अदानी समूह ने कहा कि रिपोर्ट झूठा बाजार बनाने के एक छिपे हुए मकसद से प्रेरित थी, ताकि अमेरिकी फर्म को वित्तीय लाभ मिल सके। यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अनुचित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता और भारत की विकास की कहानी और महत्वाकांक्षा पर एक सुनियोजित हमला है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अदाणी ग्रुप ने गुरुवार को करारा पलटवार करते हुए कहा था कि उसके शेयरधारकों और निवेशकों पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अदाणी समूह के लीग हेड जतिन जलुंढ़वाला ने कहा था कि रिपोर्ट के कारण भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव चिंता की बात है। शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग को अदाणी समूह के शेयरों में आने वाली गिरावट से फायदा होगा। अदाणी समूह ने कहा था कि वह हिंडनबर्ग के खिलाफ उसकी भ्रामक रिपोर्ट के कारण लीगल एक्शन लेगी।
अदाणी समूह ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिसर्च की ओर से 24 जनवरी 2023 को प्रकाशित रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण व शरारतपूर्ण है। यह बिना किसी रिसर्च के तैयार की गई है। इस भ्रामक रिपोर्ट ने अदाणी समूह, हमारे शेयरधारकों और निवेशकों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला था। रिपोर्ट से भारतीय शेयर बाजारों में जो उतार-चढ़ाव पैदा हुआ है, वह बड़ी चिंता का विषय है और इससे भारतीयों को अवांछित पीड़ा हुई थी। अदाणी समूह ने कहा था कि हिंडनबर्ग ने अप्रमाणित सामग्री प्रकाशित की थी। इसे अदाणी समूह की कंपनियों के शेयर मूल्यों पर हानिकारक प्रभाव डालने के लिए डिजाइन किया गया था।
हिंडनबर्ग रिसर्च एक फोरेंसिक वित्तीय शोध फर्म है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की है। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करता है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है।