यह है रसोई घर, एक रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में मिलता है भोजन 

मुंबई- 5,000 से अधिक किन्नरों के एक संगठन ने कल्याण रेलवे स्टेशन के पास जरूरतमंदों के लिए एक रसोई घर शुरू किया है। यह एक ऐसा रसोई घर है जहां 1 रुपये में नाश्ता और 10 रुपये में भोजन परोसा जाता है। अपने लॉन्च के दिन, 7 सितंबर, रसोई ने कम से कम 270 लोगों को खाना खिलाया। गरीबों के लिए यह रसोई किसी अन्नपूर्णा से कम नहीं है। 

ख्वाहिश फाउंडेशन की अध्यक्ष और इस अनूठी पहल को शुरू करने वाली पूनम सिंह ने कहा कि एक हफ्ते के अंदर इस रसोई का रिस्पॉन्स बहुत अच्छा आ रहा है। अब यहां एक दिन में 500 से अधिक ग्राहक आ रहे हैं। जो लोग खाना खाने आते हैं, उनमें पास के नागरिक-संचालित रुक्मिणीबाई अस्पताल में भर्ती मरीजों के रिश्तेदार भी शामिल हैं। 

यह किचन बिना किसी सरकारी एजेंसी या राजनेता की मदद से चल रही है। किचन के खर्चों को ख्वाहिश फाउंडेशन के सदस्यों खुद उठा रहे हैं। वे अपनी कमाई का रोज एक रुपया यहां दान करते हैं। कुछ संगठन भी खाद्यान्न दान कर रहे हैं। कई लोग इस अच्छी पहल को देखकर आगे आकर खुद अनाज, सब्जियां या राशन दान कर रहे हैं। 

अम्मा कहलाने वाली पूनम सिंह ने कहा, ‘मैंने कोरोना काल और लॉकडाउन में लोगों को संघर्ष करते देखा। मेरे समुदाय के लोगों सहित तमाम गरीबों को खाने के लाले पड़ गए थे। तभी मैंने जरूरतमंदों के लिए ऐसी रसोई शुरू करने का फैसला लिया।’ पूनम ने बताया कि वह कल्याण निवासी समीर शेख के पास पहुंची। समीर कुछ कारणों से अपना होटल बंद करने के लिए मजबूर थे। वह तुरंत अपने परिसर को रसोई के लिए उधार देने के लिए तैयार हो गया।  

सात किन्नरों सहित 12 अन्य लोगों के साथ रसोई संभालने वाले शेख ने कहा, ‘हम नाश्ते के लिए पोहा, उपमा और कभी-कभी शीरा और दो चपाती, एक सब्जी, चावल और दाल का पूरा भोजन परोसते हैं।’ यह ऐसा समुदाय है जिसके साथ समाज भेदभाव करता है। कई तो भीख मांगकर गुजारा करने को मजबूरी है लेकिन 5,000 से ज्यादा किन्नरों के एक संगठन ने जरूरतमंदों की सेवा कर एक शानदार मिसाल कायम की है।  

ख्वाहिश फाउंडेशन अपने डोंबिवली केंद्र में एक प्रशिक्षण संस्थान भी चलाता है जो बुनियादी कंप्यूटर, सौंदर्य सेवाएं, मेहंदी जैसे रोजगार योग्य कौशल प्रदान करता है और 25 वंचित लोगों को उनके वित्तीय सशक्तिकरण के लिए सिलाई करता है। देश के पहले किन्नर संगीत बैंड की सदस्य कोमल पाटिल भी खवाहिश फाउंडेशन से भी जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने देश भर में कई किन्नर समूहों के साथ काम किया है, लेकिन अम्मा जिस तरह जरूरतमंदों को न्यूनतम लागत पर भोजन कराती हैं यह बहुत ही प्रशंसनीय है।  

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