उत्पादन कम होने से बढ़ सकती हैं चावल की कीमतें
नई दिल्ली। खरीफ के फसल में धान की बुवाई कम होने से आने वाले समय में चावल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस बार चावल के उत्पादन में 60-70 लाख टन की कमी होने का अनुमान है। इससे महंगाई की दरों पर भी असर पड़ेगा। खुदरा महंगाई अगस्त में सात फीसदी रही है। थोक महंगाई की दर हालांकि, 11 महीने के निचले स्तर पर रही है। जून- सितंबर में अनियमित बारिश और दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश में देरी से धान की फसल कम होने का अनुमान है।
खाद्य मंत्रालय का अनुमान है कि इस वजह से चावल के उत्पादन में कमी आ सकती है। कुछ विशेषज्ञो का मानना है कि भारत के पास बफर भंडार काफी है, इसलिए इससे घबराने की जरूरत नहीं है। साथ ही सरकार ने कीमतों को घटाने के लिए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही 20 फीसदी का निर्यात शुल्क भी लगा दिया है। उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार, चावल की थोक कीमत एक साल में 10.7 फीसदी बढ़कर 3,357 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। खुदरा कीमत 9.47 फीसदी बढ़कर 38.15 रुपये किलो पर पहुंच गई है।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चांद ने कहा कि फिलहाल चावल की घरेलू महंगाई को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। कीमतों में बढ़त इसलिए दिख रही है क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाया गया है। साथ ही काद और ईंधन भी महंगे हुए हैं। कुछ बढ़त इसलिए हुई क्योंकि इस दौरान सभी कमोडिटी के दाम बढ़े हैं। अगर 1 करोड़ टन भी चावल का उत्पादन कम होता है तो भी हमारे पास पर्याप्त भंडार इसका है। देश में एक जुलाई तक चावल का बफर स्टॉक 47 मीट्रिक टन था।