मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार पैदा करें, आर्थिक सलाहकार परिषद की सिफारिश
नई दिल्ली- देश में शहरों में बेरोजगारी की समस्या बढ़ती जा रही है। इससे निपटने के लिए शहरी बेरोजगारों के लिए गांवों में चल रही मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी योजना और यूनिवर्सल बेसिक आय शुरू करने को कहा गया है। ये सिफारिश प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने केंद्र सरकार से की है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी कई सालों से इस तरह की मांग कर रहे हैं, जिस पर काउंसिल ने मुहर लगा दी है।
परिषद ने देश में असमानता में कमी लाने के लिए सामाजिक सेक्टर के लिए और अधिक फंड आवंटित करने को भी कहा है। परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने बुधवार को ‘भारत में असमानता की स्थिति’ पर रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्धा संस्थान ने तैयार की है। बता दें कि गांवों से ज्यादा बेरोजगारी शहरों में है।
रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिया गया है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में श्रम बल की भागीदारी दर के बीच अंतर को देखते हुए मनरेगा की भांति ही शहरों में भी रोजगार गारंटी योजना शुरू की जानी चाहिए ताकि अतिरिक्त श्रमबल को समायोजित किया जा सके।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि न्यूनतम आय बढ़ाना और यूनिवर्सल बेसिक आय शुरू करना, ऐसी सिफारिशें हैं जो श्रम क्षेत्र में आय के अंतर को कम कर सकती हैं। साथ ही श्रम बाजार में आय के समान वितरण कर सकती हैं। इसमें कहा गया है कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार को सामाजिक सेवाओं और सामाजिक क्षेत्रों की दिशा में खर्च के लिए अधिक आवंटन करना चाहिए जिससे देश की बहुसंख्य जनसंख्या को अचानक लगने वाले झटकों से बचाया जा सके और उन्हें गरीबी में जाने से रोका जा सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतन से अर्जित आय का 6 से 7 फीसदी हिस्सा केवल एक प्रतिशत लोगों के पास है जबकि कुल आय का एक तिहाई हिस्सा दस फीसदी लोगों के पास है। इसमें यह भी कहा गया है कि स्वच्छता, शौचालय, पेयजल और बिजली की उपलब्धता से लोगों के जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ।
सांख्यिकीय एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (एमओएसपी) के आंकड़ों के मुताबिक, अक्तूबर-दिसंबर, 2021 में शहरी बेरोजगारी दर में गिरावट के बावजूद 21 राज्यों के सर्वे में से 9 राज्यों के उनके शहरी क्षेत्रों में दो अंकों में बेरोजगारी दर थी। जुलाई-सिंतबर, 2021 मे 11 राज्यों के शहरी क्षेत्रों में दो अंकों में में बेरोजगारी दर थी।