अमेरिका में महंगाई ने तोड़ा 40 साल का रिकॉर्ड, लोग हैरान परेशान  

मुंबई- अमेरिका में महंगाई की दर पिछले 40 सालों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। फरवरी 1982 में 7.6% की महंगाई देखी गई थी। यहां के लेबर डिपार्टमेंट ने यह आंकड़ा जारी किया है। यह 7.5% के लेवल पर है। यहां के बंदरगाहों पर पिछले महीने से हजारों मजदूर बीमार पड़े हैं। इस वजह से सामानों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है।  

गुरुवार को ही रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई आगे और बढ़ेगी। इसका मतलब लोगों को तुरंत कोई राहत नहीं मिलने वाली है। भारत में खुदरा महंगाई की दर दिसंबर महीने में 5.6% पर थी। वैसे महंगाई की चिंता केवल अमेरिका के लिए ही नहीं है। भारत में भी कुछ इसी तरह की बात है।  

महंगाई का जो कारण है वह यह कि अमेरिका में डिमांड बहुत ज्यादा है और कोविड की वजह से सप्लाई कम हो गई है। लेबर डिपार्टमेंट ने कहा कि अमेरिका में मजदूरी दर पिछले 20 सालों में सबसे तेजी से बढ़ी है।वैसे पिछले साल दुनिया के अधिकतर देशों में महंगाई बढ़ी है। ब्रिटेन में भी यह 30 साल के ऊपरी स्तर पर है।  

अमेरिकी सेंट्रल बैंक अब मार्च महीने में ब्याज दरों में आधा पर्सेंट की बढ़ोत्तरी कर सकता है। गुरुवार को यह खबर आने के बाद आज भारत के शेयर बाजार पर इसका बुरा असर दिखा है। रिपोर्ट के अनुसार, कीमतों में तेजी के लिए जो कारण हैं, वे अभी भी बने हुए हैं। इसलिए हाल-फिलहाल इसके कम होने के कोई आसार नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि इस साल के अंत तक महंगाई की दर कम होकर 4% तक हो सकती है।  

कोटक महिंद्रा बैंक के MD उदय कोटक ने सोशल मीडिया पर कहा है कि साढ़े सात पर्सेंट की महंगाई और जीरो पर्सेंट ब्याज दर, यह खराब संस्थागत गवर्नेंस को दर्शाता है। यह एक उभरते हुए बाजार की तरह लगता है। महंगाई की दर को देखते हुए ही भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल देश की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ घटा दी है।  

31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया था कि 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पादन (GDP) की दर 8.3% रहेगी। जबकि गुरुवार को रिजर्व बैंक ने कहा कि यह 7.8% रह सकती है। यानी 10 दिन में ही आधा पर्सेंट का बदलाव हो गया। इससे यह संकेत है कि अर्थव्यवस्था पर अभी भी दबाव बना रहेगा।  

हालांकि अमेरिका के अन्य आंकड़े बताते हैं कि ग्राहकों के उपयोगी सामानों की कीमतें दिसंबर से जनवरी के बीच केवल 0.4% बढ़ी जबकि नवंबर से दिसंबर के दौरान यह 0.6% बढ़ी थी। इस वजह से यहां लोग गैस, किराया, खाने पीने के सामान में अब कटौती कर रहे हैं और इससे काफी परेशान हो रहे हैँ। महंगाई की यह दर अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है।  

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