वोडाफोन आइडिया नहीं बनेगी सरकारी कंपनी, आज शेयर 13% बढ़ा
मुंबई- देश की तीसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया में सरकार भले ही सबसे ज्यादा हिस्सा की मालिक होगी, लेकिन वह न तो इसके बोर्ड में होगी और न ही ऑपरेशन में शामिल होगी। आज इसका शेयर 13% ऊपर 13.20 रुपए पर है, जबकि कल 20% से ज्यादा गिरावट में था।
सरकारी राहत पैकेज के तहत कंपनी ने सरकार को कर्ज के बजाय इक्विटी देने का फैसला किया है। सरकार केवल इसकी 35.80% की मालिक होगी। सरकार का कोई भी अधिकारी इसके बोर्ड में नहीं आएगा। यही नहीं, ज्यादा हिस्सेदारी होने के बाद भी इसे सरकारी कंपनी नहीं बनाया जाएगा। वोडाफोन आइडिया का ऑपरेशन और सब कुछ कंपनी पहले की ही तरह चलाएगी।
जब वोडाफोन आइडिया स्थिर हो जाएगी, यानी इसका कर्ज और सब कुछ सही रास्ते पर आ जाएगा, तब सरकार इसमें से निकलने की योजना बनाई है। डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलीकॉम यानी डॉट इस बारे में वित्तमंत्रालय से जल्द ही चर्चा करेगा, ताकि कर्ज को इक्विटी में बदलने की प्रक्रिया पूरी हो सके। इसके पीछे की रणनीति सरकार की यही है कि निवेशकों का विश्वास कंपनी में बना रहे।
वोडाफोन आइडिया के एमडी रविंदर टक्कर ने कहा कि कंपनी निवेशकों के साथ लगातार बात कर रही है, ताकि फंड जुटाया जा सके। उम्मीद है कि इसे मार्च 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। डाफोन आइडिया पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) और स्पेक्ट्रम का बकाया है। इसके साथ ही इसका ब्याज भी है। इसी के आधार पर सरकार को 35.8% हिस्सेदारी मिलेगी।
इस फैसले के बाद वोडाफोन पीएलसी की हिस्सेदारी कंपनी में 44.39% से घटकर 28.5% पर आ जाएगी। जबकि आदित्य बिड़ला ग्रुप की हिस्सेदारी 27.66 से घटकर 17.8% पर आ जाएगी। टेलीकॉम कंपनियों को 12 जनवरी तक इस पर फैसला करना था और उससे एक दिन पहले ही दो कंपनियों ने इस फैसले को स्वीकार कर लिया था।
इसी तरह का मामला टाटा टेलीसर्विसेस के साथ भी कल हुआ। इसने भी अपने कर्ज को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है। टाटा टेलीसर्विसेस में सरकार की हिस्सेदारी 9% से ऊपर होगी। टाटा टेलीसर्विसेज पर AGR के रूप में 850 करोड़ रुपए का बकाया है। इस विकल्प को स्वीकार करने के बाद अब कंपनी में सरकार की 9.5% हिस्सेदारी हो गई है।