लगातार छठें साल बाजार बढ़त के साथ बंद हासिल हुआ

मुंबई- भारतीय शेयर बाजार में 2021 में लगातार छठे साल बढ़त देखने को मिली है लेकिन मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि बढ़ती महंगाई, मौद्रिक नीतियों में लौटती कड़ाई और कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन की वजह से 2022 में बाजार पर दबाव देखने को मिल सकता है और नए साल में हमें उतार-चढ़ाव नजर आ सकता है। 

सेसेंक्स-निफ्टी अपने अक्टूबर के हाई से करीब 10 फीसदी फिसल चुके हैं। जानकारों का कहना है कि करेंट वैल्यूएशन महंगा होने की वजह से आगे बाजार के सेंटिमेंट पर दबाव कायम रह सकता है। कोरोना के नए वैरिएंट ने बाजार पर अनिश्चितता के बादल ला दिए हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि शॉर्ट टर्म में भारत में कोरोना की तीसरी लहर के आशंका के बीच बाजार वोलेटाइल रह सकता है लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से देखें तो कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार, अच्छी इकोनॉमिक आंकड़ों और यूनियन बजट के एलानों से बाजार में कुछ पॉजिटीव सरप्राइस देखने को भी मिल सकते हैं। 

HDFC Securities के धीरज रेली का कहना है कि भारतीय इक्विटी बाजार के सामने इस समय तमाम चुनौतियां नजर आ रही हैं। इनमें अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, तमाम राज्यों में होने वाले चुनाव, कोरोना की तीसरी संभावित लहर, घरेलू ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना, महंगा वैल्यूएशन जैसी चुनौतियां शामिल हैं। 

इन तमाम चुनौतियों के बावजूद सेसेंक्स-निफ्टी में क्रमश: 22 फीसदी और 24 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। बता दें कि इसके पहले बाजार के लिहाज से सबसे बेहतर साल 2017 रहा था। जिसमें सेसेंक्स -निफ्टी में 28 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी। जियोजीत फाइनेंशियल के विनोद नायर का कहना है कि कोरोना के एक के बाद एक नए वैरिएंट से जुड़ी चुनौतियों के बीच 2021 में मजबूत रिकवरी देखने को मिली और बाजार 31 दिसंबर को बढ़त पर बंद होने में कामयाब रहा। रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी, अच्छी इकोनॉमी रिकवरी, टीकाकरण में तेजी और भारतीय चीजों और सेवाओं के लिए बढ़ती मांग के चलते भारत ने अपने अधिकांश ग्लोबल पीयर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। 

उन्होंने आगे कहा कि ओमीक्रोन से जुड़े खतरे के बावजूद उम्मीद है कि घरेलू बाजार में मजबूती बनी रहेगी। बाजार को मजबूत लॉन्ग टर्म ग्रोथ की संभावना और रिफॉर्म के लिए उठाए गए कदम से सपोर्ट मिलेगा। इसके पहले 2020 में सेसेंक्स और निफ्टी में 15-16 फीसदी की तेजी देखने को मिली थी। गौरतलब है कि इस साल कोविड महामारी के आउटब्रेक के चलते देश भर में लागू लॉकडाउन के कारण भारतीय इक्विटी बाजार 20 फीसदी से ज्यादा टूट गया था। उसके बाद मार्च 2020 के बाद बाजार में जोरदार रिकवरी आई। डॉलर में देखें तो 2021 में सेसेंक्स में 20 फीसदी और निफ्टी में 22 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। वहीं दूसरी तरफ MSCI EM इंडेक्स 5 फीसदी टूटा है जबकि MSCI World 20 फीसदी बढ़ा है। 

2021 में छोटे-मझोले शेयरों की चाल पर नजर डालें तो इस अवधि में बीएसई मिडकैप इंडेक्स 29 फीसदी और बीएसई स्मॉलकैप 63 फीसदी भागा है। दिसंबर 2021 में भारतीय इक्विटी मार्केट का टोटल मार्केट कैप दिसंबर 2020 के 2.52 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर दिसंबर 2021 में 3.42 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गया। भारत इस समय दुनिया के टॉप 10 बाजारों में 7वें पायदान पर है। दुनिया भर के बाजार के 121.17 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैप में भारतीय बाजार की हिस्सेदारी 2.83 फीसदी है। बता दें कि 2020 में दुनिया के कुल मार्केट कैप में भारत के हिस्सेदारी 2.44 फीसदी थी। 

एक्सिस सिक्योरिटीज के नवीन कुलकर्णी का कहना है कि 2021 भारतीय बाजार के लिए रिकवरी और आगे की ग्रोथ के लिए आधार बनाने का साल रहा है। 2022 में हमें थोड़ा ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है लेकिन इसके बावजूद निवेशकों के लिए 2022 काफी अच्छा साल रहेगा। इस बात की बहुत संभावना है कि 2022 में एक बार फिर हमें डबल डिजिट रिटर्न देखने को मिले। नवीन कुलकर्णी Autos, banks और capital goods पर बुलिश हैं। उनका कहना है कि 2022 में इन सेक्टरों में अच्छी बढ़त देखने को मिलेगी। 

विदेशी संस्थागत निवेशकों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो 2021 में एफआईआई ने भारत में 3.86 अरब डॉलर डालें हालांकि अक्टूबर से दिसंबर की अवधि में एफआईआई की तरफ से 4.70 अरब डॉलर की बिकवाली देखने को मिली । इस बीच बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या ने बाजार को स्थिरता देने का काम किया। 2021 में रिकॉर्ड डीमैट अकाउंट खुले हैं। जनवरी से नवबंर 2021 की अवधि में 2.74 करोड़ डीमैट अकाउंट खुले है। इसके विपरीत पूरे 2020 में इस 1.05 करोड़ डीमैट अकाउंट खुले थे।  

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