देश की GDP दूसरी तिमाही में 8.4% की दर से बढ़ी, सरकार का खर्च कमाई से ज्यादा
मुंबई- देश की अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में 8.4% की दर से बढ़ी है। यह विकास दर सभी अनुमानों के मुताबिक ही रही। लगातार चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर में बढ़त दिखी है। अर्थव्यवस्था में सुधार का सबसे बड़ा कारण निजी खपत और निवेश में सुधार रहा। लगातार वैक्सीनेशन, कम ब्याज दरों की वजह से सेंटिमेंट में भी सुधार दिखा।
इसी तरह फिस्कल डेफिसिट पूरे साल के लक्ष्य की तुलना में अप्रैल से अक्टूबर के बीच 36.3% या 5.47 लाख करोड़ रुपए रहा। कुल खर्च 18.27 लाख करोड़ रुपए रहा। फिस्कल डेफिसिट का मतलब सरकार का जितना खर्च है उसकी तुलना में इनकम में कमी से है। पिछले साल यह 119.7% था। इस पूरे साल के लिए सरकार ने फिस्कल डेफिसिट का लक्ष्य 6.8% रखा है। हालांकि सरकार के लिए यह संभव नहीं है। क्योंकि उसने हाल में मुफ्त राशन का समय बढ़ा दिया है। इससे फिस्कल डेफिसिट बढ़ सकता है।
मंगलवार को राज्यसभा में सरकार ने कहा कि पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर 2020-21 में 3.72 लाख करोड़ रुपए उसने जुटाया था। इसमें से राज्यों को केवल 20 हजार करोड़ रुपए ही दिए गए। इसी समय में सरकार का रेवेन्यू 12.6 लाख करोड़ रुपए रहा। बजट अनुमान की तुलना में यह 70.5% रहा। पिछले साल इसी समय में यह 34.2% था। टैक्स से कमाई 10.53 लाख करोड़ रुपए रही।
2020 में अप्रैल से जून के दौरान देश की अर्थव्यवस्था 24.4% की दर से गिरी थी जबकि तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से नवंबर के दौरान इसमें 0.4% की बढ़त दिखी थी। जनवरी से मार्च 2021 में GDP 1.6% की दर से बढ़ी जबकि अप्रैल से जून 2021 के दौरान इसमें 20.1% की दर से बढ़त दिखी थी। अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान विकास दर में 7.3% की गिरावट आई थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी इसी लेवल की संभावना जताई थी। उसने भी कहा है कि रीयल GDP की ग्रोथ 7.9% रह सकती है। UBS का मानना है कि भारत की GDP ग्रोथ 8 से 9% के बीच में रह सकती है। इसकी इकोनॉमिस्ट तन्वी गुप्ता जैन ने कहा कि UBS की एक्टिविटी ट्रैकर में ऊपर की ओर रुझान दिख रहा है। लेकिन रिकवरी के मोर्चे पर बड़े पैमाने पर रिकवरी नहीं दिखाई दे रही है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अनुमान लगाया था कि दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ दर 7.9% रह सकती है। पहले इसने 7.7% का अनुमान लगाया था। सरकार ने सितंबर में काफी खर्च किया है। इसका असर अर्थव्यवस्था की विकास पर दिखेगा। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्तवर्ष 2021-22 यानी जुलाई से सितंबर के बीच इकोनॉमी की गतिविधियों को औद्योगिक में तेजी और सेवा सेक्टर में बढ़ते वोल्यूम से मदद मिलेगी। कोरोना की दूसरी लहर के कारण सब्सिडी दी गई और वैक्सीन के कवरेज से विश्वास में सुधार दिखा।
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का अनुमान है कि GDP की विकास दर 8.1% रह सकती है। इसने कहा है कि दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत की विकास की रफ्तार ज्यादा रह सकती है। हालांकि अभी भी महंगाई ग्लोबल लेवल पर चिंता का विषय बनी हुई है।