29 सितंबर को होनेवाली धनलक्ष्मी बैंक की AGM को कैंसल करने की मांग

मुंबई- दक्षिण भारत के प्राइवेट सेक्टर के बैंक धनलक्ष्मी बैंक में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है। बैंक के बोर्ड में बी. रविंद्रन पिल्लई वापसी चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने बैंक की सालाना बैठक (AGM) को कैंसल कराने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।  

दरअसल धनलक्ष्मी बैंक में इस समय काफी दिक्कत है। पिछले साल दिसंबर में इसके बोर्ड ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के रिटायर मुख्य महाप्रबंधक (CGM) जे. के. शिवन को MD&CEO बनाया है। इससे पहले पिछले साल जनवरी में एक्सिस बैंक के अधिकारी सुनील गुरुबख्शानी को MD&CEO नियुक्त किया गया था। पर 2020 सितंबर में बैंक के शेयरधारकों ने गुरुबख्शानी के खिलाफ में वोट किया। इसके बाद गुरुबख्शानी ने बैंक से इस्तीफा दे दिया था।  

बैंक की AGM 29 सितंबर को है। पिल्लई का कहना है कि उनको बोर्ड में शामिल करना चाहिए। पिल्लई पहले बोर्ड में थे। पर रिजर्व बैंक की 70 साल की उम्र के नियम के चलते पिल्लई को बोर्ड से बाहर होना पड़ा था, क्योंकि वे 70 साल के हो चुके थे।  

हालांकि इस साल 26 अप्रैल को रिजर्व बैंक ने एक नोटिफिकेशन जारी किया और नॉन एग्जिक्युटिव डायरेक्टर्स के लिए 70 साल की उम्र को बढाकर 75 साल कर दिया। अब पिल्लई तभी से बैंक में वापसी चाहते हैं। मजे की बात यह है कि बैंक में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी शून्य है। इसमें 11.43% हिस्सेदारी विदेशी निवेशकों की है।  

इसके अलावा गोपीनाथन सीके की 7.50% हिस्सेदारी कपिल वधावन की 5% हिस्सेदारी है। कपिल वधावन डीएचएफएल के मालिक थे। बाद में यह कंपनी दिवालिया हो गई। जून तिमाही में बैंक को 6.79 करोड़ रुपए का फायदा हुआ था। जबकि इसका रेवेन्यू 218 करोड़ रुपए था। पिल्लई ने केरल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। उन्होंने इस याचिका में ही AGM कैंसल करने की मांग की है।  

बैंक के बोर्ड ने पिल्लई की उम्मीदवारी को रिजेक्ट करने के लिए AGM बुलाया है। दरअसल ऐसी खबरें आ रही हैं कि कुछ बड़े कॉर्पोरेट घराने इस बैंक को लेना चाहते हैं। ऐसे में यह सभी दिक्कतें बैंक के लिए और मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। धनलक्ष्मी बैंक में काफी पहले से दिक्कतें चल रही हैं। महज 1 साल में दो-दो CEO की नियुक्ति भी बैंक के शेयरहोल्डर्स के लिए चिंता का विषय है।  

बैंक का शेयर 15 रुपए के आस-पास कारोबार कर रहा है। हालांकि यह लंबे समय से 11 से 20 रुपए के बीच में ही कारोबार कर रहा है। इसी तरह के मामले में दक्षिण भारत के ही बैंक लक्ष्मी विलास बैंक को DBS ने खरीद लिया था।  

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