आधार की तर्ज पर अब बनेगा हेल्थ कार्ड, सारी जानकारियां मिलेंगी
मुंबई-केंद्र सरकार ने यूनिक हेल्थ ID कार्ड बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। इस कार्ड में स्वास्थ्य संबंधी सारी जानकारियां दर्ज होंगी। आपको दूसरे राज्य या शहर में जाने पर भी अपनी मेडिकल रिपोर्ट्स साथ ले जाने की जरूरत नहीं होगी। क्योंकि, आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री हेल्थ कार्ड में दर्ज होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी महीने नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) लॉन्च कर सकते हैं। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन में डॉक्टर्स, अस्पताल, लैब और केमिस्ट तक की जानकारी दर्ज होंगी। इसका पायलट प्रोजेक्ट पिछले साल ही अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, दादर नागर हवेली, दमनदीव, लद्दाख और लक्षद्वीप में शुरू हुआ था। इन राज्यों में यूनिक कार्ड बनने शुरू हो चुकी हैं। अब यह योजना देशभर में लॉन्च की जाएगी।
योजना की घोषणा होते ही गूगल प्ले स्टोर पर NDHM हेल्थ रिकाॅर्ड (पीएचआर एप्लीकेशन) उपलब्ध होगा। उसके जरिए रजिस्ट्रेशन होगा। यूनीक ID 14 डिजिट का होगा। रजिस्टर्ड सरकारी-निजी अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, वेलनेस सेंटर, कॉमन सर्विस सेंटर आदि पर कार्ड बनेंगे। वहां सामान्य सी जानकारियां पूछी जाएंगी। जैसे नाम, जन्म की तारीख, मोबाइल नंबर आदि।
कार्ड में आपके स्वास्थ्य से संबंधित पूरी जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में दर्ज होती रहेगी। पूरी मेडिकल हिस्ट्री अपडेट होगी। ऐसे में जब आप किसी अस्पताल में इलाज कराने जाएंगे, तो आपको पुराने सभी रिकॉर्ड वहीं डिजिटल फॉर्मेट में मिल जाएंगी। यही नहीं, अगर आप किसी दूसरे शहर के अस्पताल भी जाए तो वहां भी यूनीक कार्ड के जरिए डेटा देखा जा सकेगा। इससे डॉक्टरों को इलाज में आसानी होगी। साथ ही कई नई रिपोर्ट्स या प्रारंभिक जांच आदि में लगने वाला समय और खर्च बच जाएगा।
कार्ड बनने के बाद पिछली सभी रिपोर्ट्स आपको खुद ही स्कैन करके अपलोड करनी होंगी, लेकिन आगे की सभी रिपोर्ट्स अपने आप अपलोड होती रहेंगी। उदाहरण के लिए जब किसी डिस्पेंसरी या अस्पताल में आपकी जांच आदि होगी तो यह आपके यूनीक आईडी कार्ड में दर्ज 14 डिजिट के यूनीक नंबर के जरिए ये रिपोर्ट्स कार्ड से लिंक हो जाएंगी। अस्पताल में NDHM कर्मी इसमें आपकी मदद करने के लिए मौजूद रहेंगे।
आपके मेडिकल रिकॉर्ड से जुड़ी हरेक जानकारी उसमें दर्ज होगी। यहां तक कि यह भी कि पिछली बार किस दवा का आप पर क्या असर हुआ था, क्या नहीं। दवा बदली गई तो क्यों? इससे इलाज के दौरान डॉक्टर को केस समझने में काफी सहूलियत होगी।