खाने के तेल की कीमतों में 10-20% की आई गिरावट

मुंबई– महिलाओं की रसोई के लिए राहत की बात है। पिछले कुछ दिनों में खाने की तेल की कीमतों में 10-20% तक की गिरावट आई है। कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने इस तरह की जानकारी दी है। इसके मुताबिक एक महीने में इन कीमतों में कमी आई है।  

मंत्रालय के मुताबिक, तेलों की अलग-अलग कैटेगरी में 20% तक की गिरावट आई है। इसमें पाम ऑयल की कीमत 19% घट कर 115 रुपए प्रति लीटर आ गई है। यह पहले 142 रुपए किलो था। जबकि सनफ्लावर तेल की कीमत 16% घट कर 157 रुपए लीटर पर आ गई है। इसकी पहले कीमत 188 रुपए थी। आंकड़ों के मुताबिक 15 लीटर तेल के डिब्बे की बात करें तो इसमें भी गिरावट दिखी है। सरसों के तेल का 15 लीटर का डिब्बा अब 2,325 रुपए में मिल रहा है जो पहले 2,655 रुपए में मिल रहा था।  

पामतेल के 15 लीटर के डिब्बे की कीमत 1,900 रुपए पर आ गई है। यह पहले 2,200 रुपए थी। सनफ्लावर के तेल की बात करें तो इसका 15 लीटर का डिब्बा 2,500 रुपए से घट कर 2,250 रुपए पर आ गया है। मूंगफली के तेल की कीमत 2,700 रुपए से घट कर 2,600 रुपए पर आ गई है। सबसे कम गिरावट इसी तेल की कीमत में आई है। सोयाबीन के तेल की कीमत 1,400 रुपए से कम हो कर 2,100 रुपए पर आ गई है। 

आंकड़ों के मुताबिक, मूंगफली तेल की कीमत एक लीटर की 190 से घट कर 174 रुपए पर आई है। वनस्पति तेल की कीमत एक लीटर की 154 से कम होकर 141 रुपए पर आई है। इन दोनों तेलों की कीमतों में 8-8%  की कमी आई है। सोया ऑयल की कीमत भी इसी तरह घटी है। इसकी पहले की कीमत 162 रुपए थी जो अब 138 रुपए पर है। यानी 15%  इसकी कीमतों में कमी आई है। सरसों के एक लीटर तेल की कीमत भी 175 से घट कर 157 रुपए पर आ गई है।    

भारत को खाद्य तेल की अपनी जरूरत के बड़े हिस्से का आयात करना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि खपत के मुकाबले देश में खाद्य तेलों का उत्पादन काफी कम होता है। हालांकि मांग में आई भारी गिरावट के बीच विदेशों में खाद्य तेलों के भाव टूटे हैं। देश में इस हफ्ते की शुरुआत में तेल तिलहन बाजार में सरसों, तिलहन, सोयाबीन एवं मूंगफली तेल तिलहन, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों के भाव गिरावट के साथ बंद हुए थे।  

सरसों की उपलब्धता कम होने और मिलावट पर रोक से सरसों थोड़ा महंगा जरूर हुआ है। सरसों के भाव में 1-2 रुपए प्रति किलो की कमी आई है। सरसों की कीमतें में लगातार हो रही गिरावट की वजह से किसानों की आमदनी प्रभावित हो सकती है। क्योंकि देश के अलग-अलग हिस्सों में लगे लॉकडाउन की वजह से किसान अपनी ऊपज को लेकर बाजार में नहीं पहुंच पाए थे। भारत सालाना करीब 70,000 करोड़ रुपए का खाद्य तेल आयात करता है। 

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