आधे से ज्यादा स्टार्टअप और छोटी कंपनियां हो सकती हैं बंद, या फिर बिक सकती हैं
मुंबई– कोरोना का असर छोटे और नए बिजनेस पर ज्यादा हो सकता है। एक सर्वे में पता चला है कि इस साल के अंत तक देश में आधे से ज्यादा स्टार्टप और छोटी कंपनियां बंद हो सकती हैं। या फिर वे बिक सकती हैं।
एक सर्वे के मुताबिक, देश के 59 पर्सेंट स्टार्टअप और छोटे एवं मझोले (MSME) किस्म के कारोबार बंद हो जाएंगे या फिर वे खुद बिक जाएंगे। केवल 22 पर्सेंट स्टार्टअप और MSME 3 महीने से ज्यादा अपने आप को चला पाएंगे। 41 पर्सेंट ऐसे कारोबार हैं जिनके पास 1 महीने या इससे भी कम समय के लिए पैसा है। 49 पर्सेंट ऐसे स्टार्टअप और MSME हैं जिन्होंने कर्मचारियों की सैलरी और फायदे जुलाई तक काटने की योजना बना रहे हैं।
सर्वे में पता चला है कि कोविड की दूसरी लहर स्टार्टअप और MSME को ज्यादा असर डाल रही है। ज्यादातर कंपनियों की बिक्री घटने से उनके पास अब वर्किंग कैपिटल यानी कंपनी चलाने के लिए पैसे नहीं हैं। सर्वे में खुलासा हुआ है कि पिछले साल जब कोविड की शुरुआत हुई थी, तभी से इन कंपनियों पर असर शुरू हुआ है। पिछले साल मार्च से सितंबर तक लॉकडाउन और इस साल फिर से लॉकडाउन लगने से इनके कारोबार पर बुरा असर हो रहा है।
पिछले साल सितंबर से जैसे ही देश की अर्थव्यवस्था रिकवरी पर आई थी, तब तक इस साल अप्रैल से फिर से कोविड की दूसरी लहर ने लॉकडाउन में लाकर राज्यों को खड़ा कर दिया। ऐसे में छोटे कारोबारों और स्टार्टअप को बिजनेस करने में काफी संघर्ष और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इनके सामने आगे बिजनेस को लेकर काफी अनिश्चितता है।
स्टार्टअप चाहते हैं कि सरकार कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) फंड को सोशल इंपैक्ट स्टार्टअप में खर्च करने की मंजूरी दे। ढेर सारे स्टार्टअप सामाजिक हैं जो आपातकालीन मदद, कम्युनिटी एंगेजमेंट और मोबिलाइजेशन के साथ हेल्थ के सेक्टर में काम करते हैं। सर्वे में 6 हजार स्टार्टअप और एमएसएमई से 11 हजार रिस्पांस पाए गए। इसे 171 शहरों में चलाया गया था।
उधर भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह MSME, रिटेल, रेस्टोरेंट, माल्स और हॉस्पिटालिटी सेक्टर में छोटे और मझोले कारोबारों का सर्वे करेगा, ताकि यह पता चले कि इन पर कोविड-2 का क्या असर हुआ है। रिजर्व बैंक ने इसके लिए कई सारे बैकों को यह मंजूरी दी है कि वे उपरोक्त सेक्टर में ऐसे बिजनेस की पहचान करें और उनके साथ ऑन लाइन मीटिंग करें। रिजर्व बैंक चाहता है कि कोरोना की दूसरी लहर से ज्यादा प्रभावित सेक्टर्स को मदद की जाए। बैंकर्स का मानना है कि हमने यह देखा है कि जिन कारोबारियों ने कोरोना के पहले चरण में मोरेटोरियम या रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा ली है, वे अभी भी काफी परेशान इस समय हैं।