सेबी के नए नियम से म्यूचुअल फंड खफा, सैलरी का 20 पर्सेंट स्कीम की यूनिट के रूप में लेना होगा
मुंबई– सेबी के नए नियम ने म्यूचुअल फंड के टॉप अधिकारियों को परेशान कर दिया है। खबर है कि अब म्यूचुअल फंड हाउस इसका विरोध कर सकते हैं। लगातार सेबी के नए नियमों से फंड हाउस परेशान हैं। लेकिन इस बार की परेशानी काफी ज्यादा है।
दरअसल सेबी ने पिछले दिनों कहा कि म्यूचुअल फंड के टॉप अधिकारियों को उनकी सैलरी का 20 पर्सेंट हिस्सा स्कीम की यूनिट के रूप में लेना होगा। यानी उनको जो भी सैलरी, पर्क, बोनस या नॉन कैश के रूप में मिलता है, उन सभी को मिलाकर यह 20 पर्सेंट होगा। यह किसी भी फंड हाउस के टॉप अधिकारियों के लिए लागू होगा। यानी फंड हाउस के सीईओ, सीआईओ, फंड मैनेजर, आईटी हेड या इस तरह के जितने भी हेड हैं, सभी पर यह लागू होगा। इसे 1 जुलाई से अमल में लाया जाएगा।
सेबी ने कहा कि म्यूचुअल फंड हाउसों को अपनी वेबसाइट पर इसे बताना होगा। इसमें यह बताना होगा कि स्कीम में दी गई यूनिट की संख्या कितनी है। इस यूनिट को 3 साल तक लॉक रखा जाएगा। यानी आप इसे बेच नहीं पाएंगे। अगर कोई रिटायर हो रहा है तो फिर इसे बेच सकता है। सेबी ने कहा कि अगर कोई अधिकारी नियम तोड़ता है या फ्रॉड करता है तो इस यूनिट को जब्त किया जाएगा।
सेबी के इस नए आदेश ने म्यूचुअल फंड हाउस को परेशान कर दिया है। फंड हाउसों का कहना है कि इससे ऑपरेशनल दिक्कतें तो होंगी ही, साथ ही यह सही भी नहीं है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि जो सैलरी मिल रही है, उसमें टैक्स और इन्वेस्टमेंट काटने के बाद 50-60 पर्सेंट सैलरी ही हाथ में आती है। अगर 20 पर्सेंट का यह नियम लागू हो गया तो फिर हाथ में आने वाली सैलरी और कम हो जाएगी। इससे अच्छा है कि फंड हाउस में नौकरी की बजाय कहीं कंसलटेंट की नौकरी कर ली जाए।
कुछ फंड हाउसों ने कहा कि अब सेबी के इस नियम का विरोध करना चाहिए। दरअसल फंड हाउस रेगुलेटर का विरोध नहीं करते हैं, पर इस नियम ने उनको विरोध करने के लिए एकजुट कर दिया है। दरअसल सेबी ने यह फैसला इसलिए किया है क्योंकि फ्रैंकलिन टेंपल्टन में कुछ टॉप के अधिकारियों ने स्कीम बंद होने के पहले ही अपना निवेश निकाल लिया था। बाद में स्कीम बंद कर दी गई। फ्रैंकलिन टेंपल्टन की 6 डेट स्कीम पिछले साल अप्रैल में बंद कर दी गई थी। इसमें कुल 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश था।