रियल इस्टेट सेक्टर में एनआरआई का बढ़ रहा है निवेश
मुंबई– बीते कुछ सालों में सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए अच्छी पॉलिसीज बनाई हैं। यही कारण है कि भारत के रियल एस्टेट बाजार में नॉन रेजिडेंट इंडियंस (NRI) यानी अप्रवासी भारतीयों का निवेश बढ़ा है। रियल एस्टेट एडवाइजरी फर्म 360 रियलटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल यानी वित्त वर्ष 2021 में NRI ने भारत के रियल एस्टेट बाजार में 13.3 बिलियन डॉलर करीब 99 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया। इसमें एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 6.4% की ग्रोथ रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत के रियल एस्टेट बाजार में NRI निवेश में उछाल आया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर लॉकडाउन के कारण वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में भारतीय बाजार में NRI निवेश में 35% की गिरावट दर्ज की गई थी। इस अवधि में अर्थव्यवस्था में मंदी और कारोबारी गतिविधियों के धीमे पड़ने के साथ ग्लोबल मेडिकल संकट ने NRI निवेश के सेंटिमेंट पर बुरा असर डाला था। हालांकि, दूरी तिमाही में स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार रहा और आकर्षक भुगतान योजनाओं के कारण NRI ने खरीदारी शुरू की। यह वह समय था जब सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए बाजार में नकदी बढ़ाई थी। इसके अलावा होम लोन की दरों में भी कमी की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आकर्षक भुगतान प्लान और कम जोखिम के कारण निवेशकों का अचल संपत्ति पर फोकस बढ़ गया है। इसके अलावा कई और अन्य कारण है जिससे रियल एस्टेट बाजार में निवेश बढ़ रहा है। एनालिस्टों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022 यानी चालू वित्त वर्ष में भारत के रियल एस्टेट बाजार में 14.9 बिलियन डॉलर करीब 1.11 लाख करोड़ रुपए का निवेश हो सकता है। यह पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 12% ज्यादा रहेगा।
पिछले वित्त वर्ष में पहली तिमाही में NRI निवेश में 35% की कमी आई थी। इसके बाद सरकार के साथ डेवलपर्स ने भी खरीदारों के लिए आकर्षक योजनाएं पेश कीं। इससे दूसरी तिमाही में NRI निवेश में वार्षिक आधार पर 18% की ग्रोथ दर्ज की गई। सरकारी और डेवलपर्स की योजनाओं का तीसरी और चौथी तिमाही में भी असर दिखा। वार्षिक आधार पर इन दोनों तिमाही में क्रमश: 24% और 22% की ग्रोथ दर्ज की गई। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों की ओर से स्टाम्प ड्यूटी में कटौती से भी ग्रोथ को लाभ मिला।
वित्त वर्ष 2021 में रियल एस्टेट बाजार में निवेश में गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (GCC) यानी खाड़ी सहयोग परिषद की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रही। रिपोर्ट के मुताबिक, कुल NRI निवेश में GCC की 41% हिस्सेदारी रही। इसके बाद 17% के साथ अमेरिका दूसरे और 12% के साथ सिंगापुर तीसरे स्थान पर रहा। इसके अलावा कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, केन्या, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में रह रहे अप्रवासी भारतीयों ने भी भारत के रियल एस्टेट बाजार में निवेश किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल तकनीक का प्रयोग रियल एस्टेट बाजार में गेम चेंजर साबित होगा। डेवलपर और ब्रोकरेज दोनों डिजिटल असेट्स की महत्ता समझ गए हैं। डिजिटल लॉन्च, प्रॉपर्टी को 3डी तरीके से देखना, ऑगमेंटिड एंड वर्चुअल रियलटी-बेस्ड डिजाइन कॉन्सेप्ट, वर्चुअल प्रॉपर्टी शो और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ने रियल एस्टेट बाजार को बदल दिया है। इस तकनीक के इस्तेमाल से खरीदार और विक्रेता दोनों बंद कमरे में बैठकर होने वाली बातचीत के दायरे से बाहर आ गए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो रियल एस्टेट इंडस्ट्री के लिए भविष्य की तस्वीर काफी सकारात्मक दिखाई दे रही है। इससे NRI खरीदारों को भी बढ़ावा मिलेगा। डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से NRI खरीदारों को भारत आकर प्रॉपर्टी देखने के झंझट से भी मुक्ति मिल गई है।

