महाराष्ट्र के पुलिस विभाग में ट्रांसफर और भर्ती का रैकेट चलाते हैं दलाल, इंटेलिजेंस कमिश्नर की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की बजाय उन्हें ही हटाया गया
मुंबई– मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में गृह मंत्री अनिल देशमुख की जांच की मांग करते हुए कल एक याचिका लगाई है। इस याचिका में उन्होंने अनिल देशमुख के खिलाफ CBI जांच की मांग की है। अपनी इस याचिका में परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार की एक और शिकायत का जिक्र किया था। यह शिकायती रिपोर्ट स्टेट इंटेलिजेंस विभाग की कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने अगस्त 2020 में सरकार से की थी।
इस शिकायत में रश्मि शुक्ला ने बताया था कि कैसे महाराष्ट्र में पुलिस अधिकारियों की पोस्टिंग दलालों के जरिए की जा रही है। दलालों का यह नेटवर्क अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके पोस्टिंग के बदले पुलिसवालों से बड़ी रकम वसूल रहा है। रश्मि शुक्ला ने महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक से यह शिकायत की थी। लेकिन इसके बाद उन्हे इंटेलिजेंस विभाग से हटा दिया गया। परमबीर सिंह का आरोप है कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस मामले में कोई कारवाई नहीं की।
रश्मि शुक्ला ने 25 अगस्त 2020 को उस समय के पुलिस महानिदेशक (DGP) को पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में लिखा था कि उन्हें ढेर सारी शिकायतें मिली हैं। इससे पता चलता है कि पुलिस विभाग में ब्रोकर्स का नेटवर्क चल रहा है। खासकर ऐसे लोग जो पॉलिटिकल कनेक्शन वाले हैं। ये लोग पुलिस अधिकारियों की चाहत वाली पोस्ट पर उन्हें भेजते हैं। इसके एवज में उन्हें काफी पैसे मिलते हैं।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए उन सभी लोगों के फोन नंबर की रिकॉर्डिंग की गई, जो इसमें जुड़े हैं। जब रिकॉर्डिंग से जुटाए गए आंकड़ों की जांच की गई तो यह आरोप सही पाया गया। यह पाया गया कि ब्रोकर्स लोगों के साथ बहुत करीब से संपर्क में थे। पुलिस अधिकारियों में इंस्पेक्टर रैंक से लेकर हाई रैंकिंग वाले IPS अधिकारी भी इनके संपर्क में हैं।
पत्र के मुताबिक, यह पाया गया कि इस तरह के ब्रोकर्स इस मामले में काफी गहराई से शामिल हैं। जून 2017 में भी इसी तरह की गतिविधियां पाई गई थी। उस समय मुंबई पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसमें मुख्य आरोपी बंदा नवाज मनेर था। यह फिर से उसी धंधे में लिप्त पाया गया है। इसके खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल हुए और इसकी केस अभी भी पेंडिंग है। रश्मि शुक्ला ने कहा कि इसकी डिटेल रिपोर्ट सबमिट की गई है। साथ ही एक लिफाफे में सर्विलांस ट्रांसक्रिप्ट भी दी दिया गया है। इसके बाद उन्होंने उच्च स्तरीय जांच इसके तहत करने की मांग की थी। साथ ही इन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
DG जायसवाल ने इस मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव से कॉल रिकॉर्डिंग की मंजूरी मांगी थी। रश्मि शुक्ला ने 25 अगस्त 2020 को टेलीफोन की रिकॉर्डिंग की थी। जायसवाल ने इसे 26 अगस्त को उस समय के अतिरिक्त मुख्य सचिव सीताराम कुंटे को शिकायत सौंप दी। जासवाल ने कहा था कि इसकी सीआईडी जांच की जाए और मुख्यमंत्री को इससे अवगत कराया जाए। साथ ही इस पर तुरंत कार्रवाई की जाए। बाद में इसकी जानकारी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को दी गई। बाद में इसकी जांच गृह मंत्रालय द्वारा की भी गई। हालांकि इस पर कार्रवाई करने की बजाय रश्मि शुक्ला का प्रमोशन ही रोक दिया गया। उनके जूनियर को प्रमोशन दे दिया गया।
बाद में रश्मि शुक्ला को जब प्रमोशन मिला तो नागरी संरक्षण विभाग में उन्हें भेज दिया गया। उस समय यह नया पद बनाया गया, जो पहले था ही नहीं। इस पद के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी भी नहीं ली गई। रश्मि को एक 100 फुट का केवल ऑफिस दे दिया गया। उस समय के DGP सुबोध जायसवाल ने इस रिपोर्ट को मुख्यमंत्री को दे दिया था। पर इस पर कार्रवाई नहीं हुई और रश्मि शुक्ला को ही साइड कर दिया गया। इसके बाद जायसवाल और रश्मि दोनों केंद्र सरकार में प्रति नियुक्ति पर चले गए। जायसवाल CISF के DG बन गए तो रश्मि CRPF में ADG बन गईं।