ATM से पैसे न निकलने पर लिए जाने वाले चार्ज को खत्म करने की मांग
मुंबई– अगर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सिफारिशों को मान लिया तो जल्द ही ATM से पैसे न निकलने की स्थिति में लगने वाला चार्ज हट सकता है। ऑल इंडिया बैंक डिपॉजिटर्स एसोसिएशन ने रिजर्व बैंक से इस तरह की मांग की है। उसने कहा है कि डेबिट कार्ड के जरिए ATM से लगने वाले ट्रांजेक्शन डिक्लाइन चार्ज को हटा दिया जाए।
इस एसोसिएशन ने रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास से पॉलिसी से पहले होने वाली मीटिंग में इस तरह की सिफारिश की है। बता दें की अभी तक के नियम के मुताबिक आपने अगर किसी बैंक के ATM से पैसा निकाला और उस समय किसी कारण से पैसे आपको नहीं मिले तो उस पर भी आपको चार्ज लगता है। हालांकि यह चार्ज एटीएम से पैसे निकालने की सीमा खत्म होने के बाद ही लगता है। इस तरह के डिक्लाइन ट्रांजेक्शन पर 25 रुपए और उस पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) का चार्ज लगता है। यानी बैंक इस पर कमाई कर रहा है क्योंकि वह जीएसटी दे रहा है। जीएसटी कमाई पर ही लगने वाला टैक्स है।
दरअसल बैंकिंग भाषा में इसे डिजिटल चेक बाउंस कहा जाता है। यानी आपका चेक किसी भी वजह से बाउंस होता है तो आपको 200 से 500 रुपए का चार्ज देना होता है। इसी तरह से डिजिटल तरीके से एटीएम में अगर आपका पैसा नहीं निकलता है तो फिर भी आपका यह ट्रांजेक्शन बैंक मान लेता है।
एसोसिएशन ने रिजर्व बैंक से कहा है कि इस तरह का चार्ज सही नहीं है। इस वजह से लोग डिजिटल होने की बजाय डिजिटल से दूर जा रहे हैं। हालांकि इस तरह के ट्रांजेक्शन में ज्यादातर वो ट्रांजेक्शन होते हैं जिनके खाते में बैलेंस नहीं होता है। फिर भी वे एटीएम से पैसे निकालने की कोशिश करते हैं। एसोसिएशन ने कहा है कि यह पूरी तरह से गलत चार्ज लिया जा रहा है।
एसोसिशएन के अनुसार, इस डिजिटल लेन-देन में किसी तरह का चेक किसी तीसरी पार्टी को जारी नहीं किया जाता है। यह सीधे-सीधे ऐसा है कि पैसा जमा करने वाला खुद बैंक में जाता है और पैसा निकालने की कोशिश करता है। इसलिए इस तरह के ट्रांजेक्शन पर किसी तरह का चार्ज लगाना गलत है। एसोसिएशन ने रिजर्व बैंक के गवर्नर से यह भी अपील की है कि ब्याज दरों में कोई कटौती आगे न की जाए क्योंकि महंगाई की दर ज्यादा है। तेलों की कीमतें ऊपर हैं।