नारायण मूर्ति की बेटी टैक्स बचाने के लिए मॉरीशस के जरिए फंड घुमा रही हैं?

मुंबई– ब्रिटेन के चांसलर ऋषि सनक की पत्नी और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की बेटी अक्षत मूर्ति एक रेस्तरां कारोबार में हिस्सेदार हैं। वे मॉरीशस जैसे टैक्स हेवन में एक लेटर बॉक्स कंपनी के माध्यम से निवेश कर रही हैं। यह एक ऐसा स्ट्रक्चर है जिससे वे भारत में टैक्स से बचने का उपाय दे सकती हैं। लेटर बॉक्स का मतलब एक ही पते पर सैकड़ों कंपनियां रजिस्टर्ड हैं।  

इंटरनेशनल मार्केट मैनेजमेंट (IMM) द बिजनेस, सेलिब्रिटी शेफ जेमी ओलिवर और अमेरिकन फास्ट फूड ब्रांड वेंडी के साथ फ्रैंचाइजी समझौतों के जरिए पूरे भारत में दर्जनों रेस्तरांओं की एक चेन खोलने का प्लान बना रहा है। 

सनक की पत्नी अक्षत मूर्ति की इन्वॉल्वमेंट का पता तब चला जब सनक और उनके करीबी परिवार वालों की संपत्तियों की जांच पड़ताल की गई। जांच में पाया गया कि वे मिनिस्टर्स इंटरेस्ट के आधिकारिक रजिस्टर में दर्ज नहीं हैं। 

IMM को 2014 में शुरू किया गया था। इसे ब्रिटेन के सबसे प्रसिद्ध हेज फंड्स के तौर पर जाना जाता है। मूर्ति ने इसमें निवेश किया है। संसद में प्रवेश करने से पहले सनक ने हेज फंड में काम किया। उन्होंने अपनी कंपनी को थीलिम पार्टनर्स IMM के नाम से रजिस्टर कराया जो फिलहाल डेविड स्टीवर्ट की अगुवाई में काम कर रही है। 

स्टीवर्ट ने ओडी एसेट मैनेजमेंट के 20% शेयर और ह्यूज स्लोएन के साथ 30% शेयर लेकर वेंचर के लिए अमीर दोस्तों और परिचितों से पैसा जुटाया। भारत के सबसे प्रसिद्ध उद्यमियों में से एक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षत मूर्ति ने 5% शेयर लिया और इसके लिए 5 लाख पाउंड का निवेश किया। 

प्रत्येक निवेशक IMM में शेयर रखते हैं। यह कंपनी ब्रिटेन में रजिस्टर्ड है। रेस्तरां चलाने वाली दो भारतीय सहायक कंपनियों में IMM ने सीधे निवेश नहीं किया। इसके बजाय आईएमएम ने मॉरीशस में एक मध्यस्थ कंपनी के माध्यम से अपने शेयरधारकों से जुटाए गए पैसे को लगाया।  

दरअसल यदि आईएमएम ने सीधे निवेश किया होता तो वर्तमान दरों पर किसी भी फायदे कंपनी को भारत सरकार को 10% का टैक्स देना होता। इस सेटअप में भारत में फायदे पर टैक्स की रकम को 10% से घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे ऐसा लगता है कि आईएमएम के प्रशासकों को IMM ASSOCIATES मॉरीशस की स्थापना के समय टैक्स के बारे में पता था। 

उनके लिए काम करने वाली ऑफशोर सर्विसेज फर्म के लिए भरे गए एक फॉर्म में पूछा गया: “क्या कंपनी मॉरीशस के दोहरे कराधान समझौतों (double taxation agreements) के नेटवर्क का फायदा उठाने की मांग करेगी?” आईएमएम के प्रशासकों ने “हां” के लिए बॉक्स और “भारत” के लिए बॉक्स को टिक किया। 

नई दिल्ली से वेंचर का प्रबंधन करने वाले आईएमएम के मुख्य कार्यकारी जैपर रीड ने कहा कि यह भारत में निवेश करने वाली कंपनियों के लिए एक स्टैण्डर्ड अप्रोच है। यह बिल्कुल साधारण सी बात है।  

कैंपेन ग्रुप टैक्स जस्टिस नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी एलेक्स कोभाम कहते हैं कि अगर भारतीय टैक्स रेवेन्यू को कम करना ब्रिटिश निवेशकों के लिए स्टैण्डर्ड है, तो इसका कोई औचित्य नहीं है और यह निंदनीय है। भारत को स्कूल और अस्पताल बनाने के लिए टैक्स रेवेन्यू की जरूरत है। हमें आशा करनी चाहिए कि चांसलर स्वयं पैसे और मोटी कमाई के प्रगतिशील कराधान (progressive taxation) के लिए प्रतिबद्ध हैं।  

आईएमएम का टैक्स स्ट्रक्चर कानूनी है। लेकिन विवादास्पद भी है। मॉरीशस के रास्ते इस तरह से पैसे को डाइवर्ट करना कुख्यात हो गया है। 13 लाख की आबादी वाला छोटा सा देश मॉरीशस अब भारत में विदेशी निवेश के सबसे बड़े स्रोतों में से एक बन गया है। मॉरीशस में लेटरबॉक्स कंपनियों की स्थापना करके किसी भी कर्मचारी और मुखौटा कंपनियों के साथ व्यापारिक गतिविधियां कर निवेशक भारत में टैक्स बचाने के लिए पैसा ला सकते हैं।  

मॉरीशस के माध्यम से किए गए इस तरह के निवेश से अनुमान लगाया गया है कि पिछले 20 वर्षों में भारत को कैपिटल गेन टैक्स, डिविडेंड टैक्स, इंटरेस्ट पर टैक्स आदि से 10 से 15 बिलियन डॉलर की चपत लगी है। इस सिस्टम का उपयोग विदेशी निवेशक करते आ रहे हैं, लेकिन अब भारतीय नागरिक भी इस सिस्टम का इस्तेमाल कर मॉरीशस को एक टैक्स हैवन जैसे देश के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ये लोग भारत में अपने पैसे को डायवर्ट करते हैं। हालांकि मूर्ति ऐसा करती आ रही हैं, इस बारे में अभी कोई पुख्ता सबूत नहीं है। 

मूर्ति की किस्मत की जड़ें भारत से जुड़ी हैं, जहां उनके पिता ने आईटी कंपनी इंफोसिस की स्थापना की। अब वह ब्रिटेन की नागरिक हैं। एक नॉन प्रॉफिट संस्था सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नमेंट अकॉउंटेबिलिटी की नीति बियानी ने कहा कि भारत में निवेश करने का मॉरीशस का रुट दशकों से भारत सरकार के लिए चिंता का कारण बना है।  

वे कहती हैं कि इससे भारत जैसे विकासशील देशों को टैक्स से होने वाली कमाई से हाथ धोना पड़ा है। कहा जाता है कि ऑफशोर अरेंजमेंट की बदौलत टैक्स की कमाई में कमी आई है। हालांकि इस रास्ते को बंद करने के प्रयास में भारत सरकार ने पिछले साल मॉरीशस के साथ अपनी टैक्स संधि पर फिर से बातचीत की। विशेषज्ञों ने कहा कि क्योंकि आईएमएम ने 2017 से पहले निवेश किया था, इसलिए उसे ट्रीटी से पहले का लाभ मिलता रहेगा। 

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