सॉलिसिटर जनरल से कोर्ट ने पूछा- आपको क्रेडिट कार्ड के एक्स ग्रेशिया की जरूरत क्यों है?

मुंबई– सुप्रीम कोर्ट में लोन मोरटोरियम मामले में सुनवाई शुरू हो चुकी है। दलील की शुरुआत सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने की। उन्होंने कोर्ट से कहा कि उन्हें क्रेडिट कार्ड पर एक्स ग्रेशिया का फायदा मिलने से संबंधित एसएमएस प्राप्त हुआ है। इसके फायदे की रकम भी मिल गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या आपको इसकी जरूरत थी? आप जैसे लोगों को इसका फायदा नहीं होना चाहिए। इसके बाद जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि लेकिन सवाल ये है कि आपका क्रेडिट कार्ड कौन इस्तेमाल करता है? मेहता ने कहा कि हम दोनों में से मैं कम कंजूस हूं और मैं इसका इस्तेमाल करता हूं। 

दरअसल आज सुनवाई में तुषार मेहता ने कहा कि ये वित्तीय मामले हैं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से जारी याचिका को हल करने का केंद्र सरकार का अपना मैकेनिज्म है। अगर सुप्रीम कोर्ट उठाए गए कदम से संतुष्ट है तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को और दखल नहीं देना चाहिए। मेहता ने कहा, हमने यह फैसला लिया है कि जिन लोगों ने मोरेटोरियम के दौरान EMI दिया है उन्हें कोई सजा नहीं मिलनी चाहिए। जिन लोगों ने मोरेटोरियम का फायदा लिया है या ना लिया हो दोनों को इसका फायदा होगा।  

मेहता ने कहा कि बैंकों को SBI में क्लेम करना होगा और अलग नोडल एजेंसी बनेगी। ये नोडल एजेंसी वेरिफाई करेगी जिसके बाद सरकार पेमेंट करेगी। जस्टिस भूषण ने कहा कि जिन लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है उन्हें इसका फायदा नहीं मिलना चाहिए। ये लोग अपने क्रेडिट कार्ड के जरिए शॉपिंग कर रहे हैं और उन्होंने कोई लोन नहीं लिया है।  

वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था 

इससे पहले 2 अक्टूबर को फाइनेंस मिनिस्ट्री ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। इसमें केंद्र सरकार की तरफ से यह जानकारी दी गई थी कि सरकार 2 करोड़ रुपए तक के लोन की EMI पर लगने वाला ब्याज चुका देगा। आज भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसमें कहा गया है कि अगर बैंक ब्याज माफी करते हैं तो इससे उनकी बैलेंस शीट पर बुरा असर होगा जिससे बैंक के डिपॉजिटर्स भी प्रभावित होंगे।  

RBI ने यह भी कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर को EMI ना चुकाने वालों को डिफॉल्टर की लिस्ट में ना डालने का जो फैसला किया था उसे तुरंत प्रभाव से खत्म किया जाए। सुप्रीम कोर्ट मोरेटोरियम पीरियड के दौरान ना चुकाए गए EMI की ब्याज माफी मामले में आज सुनवाई कर रहा है। पहले इस मामले की सुनवाई 18 नवंबर को होने वाली थी लेकिन फिर इसे आज यानी 19 नवंबर के लिए टाल दिया।  

कोरोना से मोरेटोरियम लागू किया गया था 

कोरोनावायरस संक्रमण के कारण RBI ने 6 महीने के लिए मोरेटोरियम लागू किया था। यानी इन 6 महीनों के दौरान अगर कोई कैश की किल्लत के कारण EMI नहीं चुका पाया तो उसे डिफॉल्टर नहीं माना जाएगा। हालांकि इस दौरान ना चुकाए गए EMI पर ब्याज लगाया गया जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है। इससे पहले 5 नवंबर को सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई में तीन जजों की बेंच ने इस मामले को 18 नवंबर यानी आज के लिए टाल दिया था।  

आरबीआई ने कहा था कि ब्याज माफी न हो  

RBI ने 4 जून को कहा था कि अगर बैंक EMI पर ब्याज माफ करते हैं तो उन्हें 2 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा और बैंकों की बैलेंस शीट कमजोर हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 सितंबर को बैंकों को निर्देश दिए कि वह अगले आदेश तक EMI ना चुकाए गए लोन को डिफॉल्ट की कैटेगरी में ना डाले। इसके बाद 2 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह 2 करोड़ रुपए तक के लोन की EMI पर लगने वाले ब्याज की भरपाई खुद करेगा। इसका फायदा MSMEs कंपनियों और इंडिविजुअल बॉरोअर्स को हो रहा है। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंटरेस्ट पर इंटरेस्ट लेने का कोई मतलब नहीं है। इसके बाद 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक को हलफनामा दायर करने के लिए और वक्त दिया। 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस मामले में एक पुख्ता प्लान लेकर आने को कहा था।  

सुनवाई के दौरान मेहता ने स्पष्ट किया कि कामथ की सिफारिश बड़े कर्जदारों के लिए थीं और यह 1,500 करोड़ से अधिक के लोन लिए लागू है। जो अकाउंट कामथ कमेटी के रिकार्ड में कवर नहीं हैं, उन्हें इंतजार नहीं करना पड़ता है। बैंक खुद ही उनसे संपर्क स्थापित कर रिस्ट्रक्चर लोन प्राप्त करने को कह रहे हैं। 

मेहता ने कहा कि कामथ कमेटी के सदस्यों के अनुसार जिन खातों को कवर नहीं किया गया है, उन्हें बैंकों को पहले से ही खाता धारकों से संपर्क करने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पावर प्रोड्यूसर्स और अन्य याचिकाकर्ताओं को आरबीआई काउंसिल के समक्ष सुझाव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जस्टिस भूषण ने कहा कि क्रेडिट कार्ड वाले लोगों को यह लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। वे कार्ड का उपयोग करके चीजें खरीद रहे हैं और उनके पास कोई लोन नहीं है। 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उस पिटीशन को खारिज कर दिया, जिसमें पिटीशनर्स चक्रवृद्धि ब्याज की माफी से संतुष्ट थे। साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पावर प्रोड्यूसर्स और अन्य पिटीशनर्स आरबीआई काउंसिल के पास अपने सुझाव को सबमिट करें। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पावर प्रोड्यूसर्स की ओर से एक पिटीशन पर दलील दे रहे थे। इस मामले में ही कोर्ट ने यह बात कही है। 

याचिकाकर्ताओं की तरफ से जारी याचिका को हल करने का केंद्र सरकार का अपना मैकेनिज्म है। अगर सुप्रीम कोर्ट उठाए गए कदम से संतुष्ट है तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को और दखल नहीं देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और आरबीआई को यह निर्देश दिया कि वे इस तरह के सुझावों पर अपने जवाब दें। इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते में करने की बात कोर्ट ने कही।  

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