ओला और पेटीएम के वैल्यूएशन में भारी गिरावट, टीआरपी और वैन गार्ड ने किया आंकलन

मुंबई-ग्लोबल म्यूचुअल फंड कंपनी टी रोवे प्राइस और मोहरा ने भारत की दो सबसे मूल्यवान इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल पेमेंट सुविधा उपलब्ध कराने वाली पेटीएम और राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म ओला के वैल्यूएशन को कम किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना ने पहली छमाही में इन दोनों के कारोबार को बाधित किया है। इन दोनों म्यूचुअल फंड की ओला और पेटीएम में हिस्सेदारी है।  

दिसंबर 2019 में पेटीएम में कम से कम 150 करोड़ डॉलर का निवेश टी रोवे प्राइस ने किया था। जून 2020 तक इसने अपने शेयरों के वैल्यू में 26% की कटौती की है। इसने जिस शेयर को 253 डॉलर प्रति शेयर लिया था अब उसका मूल्य 188 डॉलर पर आंका गया है। जब टी रोवे प्राइस ने पेटीएम में पिछली बार निवेश किया था, तब पेटीएम का मूल्य 16 अरब डॉलर था। 

कोरोना महामारी के कारण ओला का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। 31 अगस्त तक वैन गार्ड ने शेयरों के मूल्यांकन में लगभग 50% की गिरावट देखी है। ओला के शेयरों का मूल्य फरवरी में 311 डॉलर के मुकाबले 162.5 डॉलर प्रति शेयर पर आंका जा रहा है। ओला का वैल्यूएशन 2019 की पहली छमाही में लगभग 6.5 अरब डॉलर था। 

यह पहली बार नहीं है जब भारत के सबसे मूल्यवान स्टार्टअप्स ने म्यूचुअल फंड से मार्कडाउन का सामना किया है। 2016 में, ई-टेलर फ्लिपकार्ट का मूल्यांकन मॉर्गन स्टेनली और फिडेलिटी द्वारा 5.6 बिलियन डॉलर तक आंका गया था लेकिन इसे अमेरिकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट द्वारा 22 बिलियन डॉलर में लिया गया था। इससे पहले ओला को 2018 में अपना वैल्यूएशन ठीक करने से पहले 2017 में मोहरा से 40% मार्कडाउन का सामना करना पड़ा था। फ्लिपकार्ट और ओला दोनों को उबरने से पहले कम वैल्यूएशन पर कैपिटल भी जुटानी पड़ी थी। 

पेटीएम के मुताबिक कंपनी के लिए जून का मूल्यांकन अलग था, क्योंकि तब बाजार “बेहद अस्थिर” थे। इसके कुछ नए कारोबार जैसे पेमेंट गेटवे, यूपीआई मनी ट्रांसफर, इक्विटी ट्रेडिंग, लेंडिंग, पीओएस डिवाइसेज और विज्ञापन उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। पेटीएम के मुताबिक हालांकि हम अपने शेयरधारकों के इंटरनल वैल्यूएशन पर टिप्पणी नहीं कर सकते। हमारे कई नए कारोबार खासतौर पर पेमेंट गेटवे, यूपीआई मनी ट्रांसफर, इक्विटी ट्रेडिंग, लेंडिंग, पीओएस डिवाइस और एडवरटाइजिंग हमारी उम्मीदों से काफी आगे प्रदर्शन कर रहे हैं।  

वित्त वर्ष 2020 का रेवेन्यू बढ़कर 3,629 करोड़ रुपए हो गया है। स्टार्टअप इकोसिस्टम पर नज़र रखने वाले निवेशकों ने कहा कि डिजिटल भुगतान में महामारी के कारण बढ़ोतरी हुई, जिससे पेटीएम को मदद मिली है। चूंकि यह बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा है इसलिए कंपनी के सामने एक चुनौती है।  

एक वेंचर कैपिटल इनवेस्टर ने नाम न बताने का अनुरोध करते हुए कहा, दो साल पहले पेटीएम का मोबाइल पेमेंट्स में एकाधिकार था लेकिन अब फोनपे, गूगल पे, अमेजन पे और रिलायंस और वाट्सऐप के बीच हालिया टाई-अप होने से इसे कड़ी टक्कर मिल रही है। यह सब तब हुआ है जब सरकार ने सीमा संघर्ष और विवाद के बीच चीन से निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें कि पेटीएम को चीनी निवेश को लेकर भी सवालों का सामना करना पड़ता है। 

ओला को तब मार्कडाउन किया गया है जब मोबिलिटी बिजनेस में ग्लोबल मंदी आई है। दुनिया की सभी बड़ी कंपनियों ने कर्मचारियों को पूरे साल भर के लिए घर से ही काम करने की इजाजत दी है। अमेरिका में भी उसकी प्रतिद्वंदी उबर ने अगस्त में कहा था कि विभिन्न शहरों में कारोबार 50-85 फीसदी नीचे हैं। ओला अब इलेक्ट्रिक वाहनों पर अपना फोकस बढ़ा रही है। 

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