सिंगापुर, हांगकांग की तरह ग्लोबल फंड एशियाई डेस्टिनेशन के रूप में भारत को स्थापित करना चाहते हैं मोदी

मुंबई– जिस तरह सिंगापुर और हांगकांग ग्लोबल फंड डेस्टिनेशन के रूप में हैं, उसी तरह भारत को भी बनाए जाने की योजना चल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को ग्लोबल फंड एशियाई डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। भारत का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र दो वर्षों के भीतर शुरू हो सकता है। इसके जरिए ऑफशोर रुपए के ट्रेडिंग बिजनेस के एक प्रमुख हिस्से को भुनाने की योजना है। यह एक ऐसा लक्ष्य है जो महत्वाकांक्षी भी है और साथ ही साथ वैकल्पिक वैश्विक वित्तीय प्रवेश द्वार (alternative global financial gateway) बन जाने की योजना के लिए महत्वपूर्ण है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर और हांगकांग की तरह वैश्विक फंड प्रवाह के लिए भारत को एक नए एशियाई डेस्टिनेशन के रूप में पिच करना चाहते हैं। यह कदम एक नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के माध्यम से बीजिंग की सीनाजोरी के बाद आया है जिससे क्षेत्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में किसी शहर की भूमिका को कमजोर कर दिए जाने का खतरा रहता है। 

गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंशियल टेक सिटी (गिफ्ट सिटी) के प्रबंध निदेशक तपन रे ने कहा कि हमारे पक्ष में काम करने वाली प्रमुख बातों में से एक यह है कि भारत में कुल मिलाकर स्थिरता है। नीति का अनुमान लगाया जा सकता है। मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उसमें देश में कहीं और की तुलना में कम टैक्स के साथ नियम आसान होते थे। वित्तीय लेनदेन में लचीलापन था। भारत अब विदेशों में रुपए के ट्रेड को लेकर काफी चिंतित है। हब के रूप में गिफ्ट सिटी को विकसित कर उस अंतर को भरने की योजना बनाई जा रही है। 

हब इक्विटी, मुद्राओं और वस्तुओं में ट्रेड प्रदान करता है, साथ ही अंतरराष्ट्रीय बांड की लिस्टिंग भी प्रदान करता है। वहां स्थित एक्सचेंजों ने मई में विदेशी मुद्राओं में रुपए के डेरिवेटिव का व्यापार शुरू किया। बाद में जिन बैंकों के पास हब में यूनिट्स थीं, उन्हें आरबीआई द्वारा ऑफशोर फॉरेक्स बाजारों में व्यापार करने की अनुमति दी गई थी। 

सिंगापुर जैसा हब निवेशकों को सभी प्रमुख करेंसी और काउंटर पार्टियों को अधिक सुविधाएं प्रदान करता है। बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, लंदन में रुपए के लिए औसत दैनिक वोल्युम अप्रैल 2019 में 47 अरब डॉलर था, जबकि सिंगापुर में यह लगभग 20 अरब डॉलर था। इसके उलट गिफ्ट सिटी में एक महीने में रुपए का डेरिवेटिव वोल्यूम करीब 6 अरब डॉलर रहा। 

रे के अनुसार, स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी, एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी और अन्य अमेरिकी बैंकों ने गिफ्ट सिटी में अपने संचालन के निर्माण की प्रक्रिया या तो स्थापित किया है या कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका, जापान और यूरोप के अन्य लेंडर्स भी सक्रिय रूप से इकाइयों की स्थापना पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्राओं के व्यापार के लिए स्थानीय स्तर पर क्लीयरिंग किए जाने का डेवलपमेंट भी एजेंडे में है, और लेनदेन के वास्तविक समय के निपटारे के लिए एक नया सिस्टम जल्द ही लागू होना चाहिए।  

स्टैंडर्ड चार्टर्ड में प्रोफेसर ऑफ फाइनेंस और दक्षिण एशिया के पूर्व प्रमुख अनंत नारायण ने कहा कि अगर मैं सिंगापुर या हांगकांग में काम करने वाला हेज फंड था तो मैं जानता हूं कि प्रभावी रूप से गिफ्ट भारत में है। इसका मतलब है कि मैं जो कुछ भी कर रहा हूं, वह भारतीय रेगुलेटर्स की पंहुच में होगा। 

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