आनेवाले समय में केवल 5 सरकारी बैंक रह जाएंगे देश में, पीएसयू बैंकों को प्राइवेट बनाने की योजना
मुंबई- जिस तरह से मोदी सरकार देश में छोटे सरकारी बैंकों को बड़े बैंकों में मिलाने का काम कर रही है, उसी तरह से अब बैंकों के निजीकरण (प्राइवेटाइजेशन) की भी योजना है। खबर है कि छोटे बड़े बैंकों का प्राइवेटाइजेशन कर आनेवाले दिनों में केवल 5 बड़े सरकारी बैंक रखने की योजना है। सरकार अगले कुछ समय में कई सरकारी बैंकों को मिलाने की भी योजना पर काम कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार की योजना है कि ढेर सारे बैंक रखने और उन पर निगरानी रखने की बजाय केवल 4-5 बैंक रखे जाएं। वैसे अभी की जो स्थिति है उसमें एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, कैनरा बैंक और यूनियन बैंक टॉप में हैं। आगे भी उम्मीद यही है कि सरकार इन्हीं बैंकों को रखने के पक्ष में है। बाकी बैंकों का निजीकरण कर दिया जाएगा।
देश में फिलहाल 12 सरकारी बैंक है। कुछ बैंकों को हाल में बड़े बैंकों को मिला दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक सरकार नए प्राइवेटाइजेशन प्रस्ताव के साथ वर्तमान में इस योजना पर काम कर रही है। इसे बाद में कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। दरअसल प्राइवेटाइजेशन से सरकार को पैसा मिलेगा। सरकार इन बैंकों के अलावा नॉन कोर असेट्स और नॉन कोर कंपनियों को बेचने की योजना पर काम कर रही है।
काफी समय से देश में केवल कुछ ही बैंकों को रखे जाने की मांग उठ रही है। सरकार ने हालांकि कहा है कि अब आगे किसी बैंक का विलय नहीं होगा। पर बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता अभी भी खुला है। पिछले साल सरकार ने 10 सरकारी बैंकों का 4 बैंकों में विलय कर बड़े बैंक का निर्माण किया था। देश के बैंकिंग सेक्टर का एनपीए दोगुना होने का अनुमान है। फिलहाल यह 9.35 लाख करोड़ रुपए है। इसके परिणाम स्वरूप सरकार को इन बैंकों में 20 अरब डॉलर का फंड डालने की जरूरत है।
जानकारी के मुताबिक सरकार पहली योजना के तहत बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और पंजाब एंड सिंध बैंक का निजीकरण कर सकती है।