विकास ने कहा डीएसपी मुझे लंगड़ा कहते थे, इसलिए निपटाया, मंदिर में बहुत रोया

मुंबई– कानपुर शूटआउट के आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे को उज्जैन पुलिस ने यूपी एसटीएफ के हवाले कर दिया था। शुक्रवार सुबह उसका एनकाउंटर कर दिया गया। विकास पर उज्जैन में कोई केस दर्ज नहीं किया गया। एसपी उज्जैन मनोज कुमार ने बताया कि चार्जशीट बनाकर यूपी पुलिस को सौंप दी गई। हालांकि, मीडिया के इन सवालों का जवाब मनोज कुमार नहीं दे पाए कि विकास पर केस क्यों नहीं दर्ज किया गया। सवालों के बीच में ही वे उठकर चले गए।

हालांकि, उन्होंने ये जरूर बताया कि विकास से 8 घंटे तक पूछताछ की गई। इस पूछताछ की जानकारी अभी पुलिस ने आधिकारिक तौर पर नहीं दी, लेकिन सूत्रों और रिपोर्ट्स के हवाले से कुछ बातें सामने आईं। बिकरू में मारे गए 8 पुलिसवालों में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा भी थे। विकास के मुताबिक- डीएसपी को उसने इसलिए मारा, क्योंकि वो उसे लंगड़ा कहते थे। विकास को यह अपनी बेइज्जती लगती थी। विकास ने ये भी कहा था कि वो महाकाल मंदिर में बैठकर बहुत रोया था।

डीएसपी को मारने की वजह बताई

डीएसपी देवेंद्र मिश्र से खार खाए बैठा विकास काफी समय से उनकी हत्या की फिराक में था। पूछताछ में उसने उज्जैन पुलिस काे बताया, ‘‘डीएसपी मिश्र मुझे लंगड़ा बोलते थे। इलाके में मेरा इतना दबदबा था। वह मुझे ऐसा कैसे बोल सकते थे। इसलिए सोच रखा था कि डीएसपी मिश्र को निपटाऊंगा।’’ सूत्रों के मुताबिक, यही वजह है कि विकास ने हत्या के बाद भी डीएसपी मिश्र का पैर कुल्हाड़ी से काट दिया था। हालांकि, पूछताछ में विकास बार-बार बयान से पलटता रहा। उससे आईजी, डीआईजी और एसपी ने भी पूछताछ की। उसके चेहरे पर कोई पछतावा नहीं दिख रहा था। उसने बताया कि मुठभेड़ के बाद जब लगा कि ज्यादा पुलिसवाले मर गए हैं तो मामला दबाने के लिए पेट्रोल डालकर उन्हें जलाने की योजना बनाई। लेकिन दूसरी टीम आने पर सभी को भागना पड़ा।

शवों के जलाने की तैयारी कर रहा था विकास- सूत्र

सूत्रों के मुताबिक, विकास ने पुलिस को बताया कि एनकाउंटर के डर से उनसे बिकरू गांव में दबिश डालने गई पुलिस टीम पर फायरिंग की थी। उसने यह भी बताया कि और फोर्स नहीं आती तो वह सबूत मिटाने के लिए पुलिस वालों के शव जला देता, इसके लिए तेल भी मंगवाया था।

गैंगस्टर ने बताया- पुलिस के लोग मेरे संपर्क में थे। उन्होंने दबिश की जानकारी दी थी। मैंने अपने साथियों को हथियार के साथ बुलाया था। घर पर 30 लोगों के लिए खाना बनवाया था। घटना के बाद मैंने सभी साथियों को अलग-अलग भागने को कहा था।उसने कहा- मुझे किए पर अफसोस है, पर मुझे गोली चलाने के लिए मजबूर किया गया था। मैं मंदिर के परिसर में बैठकर बहुत रोया हूं।

विकास दूबे को मारने की घटना से 15 मिनट पहले एसटीएफ ने मीडिया की गाड़ियों को अलग किया था

कानपुर. कानपुर में 8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी विकास दुबे नाटकीय तरीके से उज्जैन में गिरफ्तार होता है और उससे भी ज्यादा नाटकीय तरीके से एनकाउंटर में मारा जाता है। पुलिस की कहानी के मुताबिक, बारिश में गाड़ी पलटने के बाद विकास ने पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मारा गया। उज्जैन के महाकाल मंदिर में विकास की गिरफ्तारी और उसे कानपुर लाने के दौरान जो कुछ हुआ, उससे इस एनकाउंटर पर तमाम सवाल उठ रहे हैं।      

 उज्जैन में पुलिस ने कोर्ट में पेश नहीं किया

विकास को उज्जैन में मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया। इसके बाद यह चर्चा रही कि विकास को उज्जैन में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा, लेकिन बाद में उसे सीधे यूपी एसटीएफ के हवाले कर दिया गया। गुरुवार दिनभर चर्चा रही कि विकास दुबे को एसटीएफ चार्टर्ड प्लेन से कानपुर ले जाएगी, लेकिन शाम तक तस्वीर पलट गई। बताया गया कि यूपी एसटीएफ विकास को सड़क मार्ग से ले जाएगी।        

मीडिया की गाड़िया एसटीएफ के काफिल के पीछे थीं

यूपी एसटीएफ विकास दुबे को सड़क मार्ग से लेकर निकली तो मीडिया की कई गाड़ियां एसटीएफ के काफिल के पीछे थीं। मीडियाकर्मियों ने बताया कि रास्ते में तेज बारिश हो रही थी। मध्य प्रदेश में हाईवे पर एक ढाबे पर एसटीएफ की टीम ने खाना भी खाया। मीडियाकर्मी भी यहीं रुके तो एसटीएफ के अधिकारियों ने कहा कि पुलिस की गाड़ियों का पीछा न करें। रात करीब 3:15 बजे झांसी बार्डर पर एसटीएफ की टीम ने मीडिया के लोगों को उसके काफिल से अलग करने की फिर कोशिश की, लेकिन मीडियाकर्मी पुलिस के काफिले के पीछे उरई, फिर कानपुर देहात तक लगे रहे।

कानपुर शहर की सीमा पर मीडियाकर्मी पुलिस के काफिले से अलग कर दिए गए

सुबह 6:00 बजे के आसपास कानपुर देहात के बारा टोल प्लाजा पर एसटीएफ का काफिला आगे निकल गया, लेकिन काफिले के पीछे चल रहे मीडियाकर्मियों की गाड़ी को सचेंडी पुलिस थाने की पुलिस ने रोक दिया। मीडियाकर्मियों ने पुलिस से बहस की तो कहा गया कि रास्ता सभी के लिए बंद कर दिया गया है। इसके बाद हाईवे पर बाकी वाहन भी रोक दिए गए।  

फिर आई गाड़ी पलटने की सूचना

काफिले के रोके जाने पर मीडियाकर्मी पुलिस से बहस कर ही रहे थे कि करीब 15 मिनट बाद सूचना आती है कि विकास दुबे को ले जा रही एसटीएफ की गाड़ी पलट गई है। इस पर थोड़ी देर बाद स्थानीय थाना पुलिस और मीडियाकर्मी आगे बढ़ते हैं। करीब 30 मिनट का रास्ता तय करने के बाद मीडिया के लोग घटनास्थल पर पहुंचते हैं। वहां एसटीएफ की गाड़ी पलटी पड़ी थी।    

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