आरबीआई की राय- जैसे कर्ज पर ले रहे ब्याज, वैसे जमा पर भी दो ब्याज  

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक चाहता है कि जमाकर्ताओं को उनके पैसे पर ज्यादा ब्याज मिले। हालांकि बैंक अभी भी इससे बच रहे हैं। निजी और सरकारी क्षेत्र के बड़े बैंक अभी भी 2.70 फीसदी लेकर चार फीसदी तक ही ब्याज दे रहे हैं। बैंकों के कुल जमा में बचत खाते का हिस्सा करीबन एक तिहाई है, फिर भी ग्राहकों को बचत खाते पर बहुत कम ब्याज मिल रहा है। 

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले वित्त वर्ष में नीतिगत दर को 2.50 फीसदी बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया है। ऐसे में केंद्रीय बैंक चाहता है कि जिस तरह कर्ज पर बैंकों ने तुरंत ब्याज बढ़ाकर ग्राहकों पर बोझ डाल दिया, उसी तर्ज पर जमा पर भी ब्याज दरें बढ़ाई जाएं। आरबीआई अपनी बैठकों में बैंकों को बचत जमा दरें बढ़ाने के लिए प्रेरित करता रहा है। साथ ही इसे फिर से बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। 

निजी क्षेत्र के बैंक के एक अधिकारी ने कहा, बचत खाता बनाए रखने की परिचालन लागत और तकनीकी लागत काफी अधिक है। यहां तक कि 20 बीपीएस-25 बीपीएस की वृद्धि भी बैंकों की पूरी बही-खाता को प्रभावित करेगी। इससे बैंकों के मार्जिन पर भी असर पड़ सकता है।  

आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा सख्त चक्र में सावधि जमा दरों में वृद्धि उधार दरों से अधिक हो गई है। हालांकि, बचत जमा पर दरें लगभग अपरिवर्तित बनी हुई हैं। कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ने से बैंकों की लागत में वृद्धि कम हो गई है। इससे इनके मार्जिन में उछाल दिख रहा है। यस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और इंडसइंड बैंक ने हाल ही में कहा है कि उनकी बचत जमा दरें बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। 

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