भारतीय बाजार में 15 महीने में सबसे लंबी अवधि की रही साप्ताहिक गिरावट
मुंबई- घरेलू इक्विटी बेंचमार्क में लगातार पांचवें हफ्ते गिरावट दर्ज हुई, जो 15 महीने में साप्ताहिक गिरावट की उनकी सबसे लंबी अवधि है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जीरोम पॉवेल के भाषण से पहले ज्यादातर वैश्विक बाजार शुक्रवार को सतर्क रहे।
देश में महंगाई को लेकर फिर से पैदा हुई चिंता ने जोखिम से दूर रहने वाले सेंटिमेंट में इजाफा किया। पिछले हफ्ते सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमश: 0.1 फीसदी व 0.2 फीसदी की गिरावट आई, जो मई 2022 के बाद गिरावट की सबसे लंबी साप्ताहिक अवधि है। इससे पहले अप्रैल 2020 में सेंसक्स व निफ्टी लगातार सात हफ्तों तक टूटता रहा था।
भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत बैठक के मिनट्स में अल्पावधि के दौरान महंगाई को लेकर जोखिम सामने आने के बाद निवेशकों का सेंटिमेंट खराब हुआ। ये मिनट्स गुरुवार को बाजार बंद होने के बाद जारी हुए थे।
मिनट्स में आरबीआई ने कहा है कि मुख्य महंगाई में बढ़त आगामी हफ्तों में जारी रह सकती है, जिसकी वजह प्रतिकूल मौसम हालात के कारण आपूर्ति में पैदा हुआ अवरोध है। केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून के असर और भूराजनीतिक कारणों से वैश्विक खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी के दबाव से हमारे लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
सप्ताह के पहले तीन कारोबारी सत्रों में इक्विटी में इजाफा हुआ, लेकिन आखिरी दो सत्रों में इसने पूरी बढ़त गंवा दी। विश्लेषकों ने कहा कि अल्पावधि में और बिकवाली हो सकती है, जो देश-विदेश में केंद्रीय बैंकरों के रुख पर निर्भर करेगी। इस बीच, चीन ने अपनी मॉर्गेज नीति में ढील दी है और इस तरह से अपनी बीमार अर्थव्यवस्था को सुदारने के लिए एक और कोशिश की है। हालांकि ये कदम इक्विटी बाजारों को उत्साहित करने में नाकाम रहे।
हालांकि पिछले पांच हफ्तों में गिरावट के बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि एशिया में भारत सबसे ज्यादा स्थिर बना रहेगा, जिसकी वजह ठोस फंडामेंटल और मजबूत निवेश है। बीएनपी पारिबा ने एक नोट में कहा है, हमें लगता है कि दूसरी व तीसरी तिमाही में अब तक भारत का उम्दा प्रदर्शन मजबूत अर्थव्यवस्था और कंपनियों के राजस्व में वृद्धि, निवेश में नीतिगत कदमों के चलते रिकवरी, वैश्विक आपूर्ति शृंखला के कारण विनिर्माण में इजाफे की उम्मीद के अलावा शेयर बाजार की नकदी में मजबूत देसी प्रवाह के कारण स्थिरता की वजह से रहा है।