आप शेयर बाजार में रिटेल और नए निवेशक हैं तो जानिए आपका पैसा कैसे यस बैंक में खत्म हुआ
मुंबई- आप अगर बाजार में रिटेल निवेशक हैं। आपने हाल में या पहले से भी निवेश किया है तो आपको यस बैंक जैसे शेयरों को जरूर जानना चाहिए। एक ऐसा बैंक जो देश में निजी क्षेत्र में चौथा बड़ा बैंक था। कभी 400 रुपए इसका शेयर हुआ करता था। लेकिन महज एक दो साल में इस शेयर ने निवेशकों की सारी कमाई गंवा दी। बीच-बीच में मौका मिला तो निवेशकों की लालच बढ़ी और इसी लालच में जो भी मिला वो भी गंवा दिए।
किसी शेयर में कैसे नफा और नुकसान का आंकलन करें?
शेयर बाजार में विश्लेषकों की एक बहुत प्रसिद्ध राय है। राय यह कि आप उन कंपनियों में निवेश करें जिनका मैनेजमेंट, बैलेंसशीट और गवर्नेंस अच्छा हो। साथ ही आप लालच मत करें। यानी आपको एक औसत रिटर्न मिला तो आपको निकल जाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि आप जितना ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करेंगे, उतना ही उसमें जोखिम भी होगा। लेकिन देखा ऐसा जाता है कि ज्यादातर निवेशक लालच में फंस जाते हैं। आज अगर कोई शेयर 10 रुपए पर है तो वे उसे 12 रुपए पर देखते हैं। साथ ही वे निवेश तब करते हैं जब शेयर काफी महंगे स्तर पर पहुंच जाते हैं। या फिर रातों रात दोगुना की लालच में सस्ते 5-10 रुपए वाले शेयरों पर दांव लगाते हैं। जैसा कि हाल में देखा गया है। नए और रिटेल निवेशकों ने इन्हीं स्टॉक पर दांव लगाए हैं।
यस बैंक का शेयर कैसा रहा?
यह शेयर एक महीने पहले 28 रुपए पर था और आज 11.10 रुपए पर है। इसने पिछले हफ्ते एफपीओ के जरिए करीबन 13,000 करोड़ रुपए जुटाए। एफपीओ का मूल्य 12 से 13 रुपए था। अब यह शेयर उससे नीचे है। यानी जिन लोगों ने एफपीओ में खरीदा, वो भी नुकसान में हैं। जिन्होंने उससे पहले जब भी खरीदा होगा वो भी नुकसान में हैं। तो फायदा किसे हुआ? यह भी जानिए।
यस बैंक के एफपीओ में फायदा किसने कमाया
सबसे ज्यादा फायदा एसबीआई ने कमाया है। यह इसलिए क्योंकि जब यस बैंक का शेयर मार्च में टूटकर 5.55 रुपए के निचले स्तर पर पहुंचा तो एसबीआई के कंसोर्टियम में कई बैंकों ने इसमें पैसे लगाए। एसबीआई को सबसे ज्यादा 48 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी मिली। साथ में एक्सिस, आईसीआईसीआई और अन्य बैंक भी थे। एफपीओ में एसबीआई ने अपनी होल्डिंग घटाकर 30 प्रतिशत कर दी। इसने मार्च में 10 रुपए प्रति शेयर पर 7,250 करोड़ रुपए लगाया था। अब चार महीने बाद एसबीआई ने एफपीओ में 18 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी 13 रुपए में बेच दी। यानी उसे चार महीने में 20-25 प्रतिशत का रिटर्न मिल गया। हालांकि इसके साथ ही अन्य बैंकों ने भी हिस्सेदारी बेची है।
यस बैंक में नुकसान किसे हुआ?
यस बैंक में मुख्य रूप से नुकसान रिटेल निवेशकों को हुआ है। बहुत सारे निवेशकों ने उस समय इसमें पैसे लगाए जब यह शेयर 400 रुपए या 300 रुपए तक था। वहां से जब शेयर टूटना शुरू हुआ तो काफी निवेशकों ने यह सोचकर निवेश किया कि अब आधा कीमत पर मिल रहा है और रिटर्न मिलेगा। इस तरह से निवेशक लगातार इसमें निवेश करते गए। यहां तक कि 30 रुपए,50 रुपए, 80 रुपए पर भी खरीदी होती गई। लेकिन बात तब पलटी, जब एसबीआई ने इसमें हिस्सेदारी खरीदी। यहां पर 5 रुपए का शेयर एक बार फिर 89 रुपए तक 10 दिन में पहुंचा। यहीं पर निवेशक फिर फंसे। निवेशकों को लगा कि अब यह शेयर फिर से 200 जाएगा। लेकिन जिन लोगों ने शेयर को 5 से 89 तक पहुंचाया, वे तुरंत बेचकर निकल गए। शेयर फिर से आज उसी स्तर पर आ गया है।
शेयर में इतना उतार-चढ़ाव क्यों होते गया
यस बैंक को शुरू से ही पैसे की जरूरत थी ताकि वह आरबीआई के नियमों के मुताबिक काम कर सके। जब इसकी पैसे की जरूरत अब एफपीओ के जरिए पूरी हो गई तो फिर शेयर क्यों टूट रहा है? विश्लेषकों के मुताबिक इसमें सेबी को जांच करना चाहिए कि यह 5 रुपए का शेयर किस आधार पर 89 रुपए पर गया और फिर किस आधार पर 11 रुपए पर आ गया है। अगर एसबीआई के नाम पर यह 89 तक गया तो एसबीआई अब भी इसमें है। पर शेयर क्यों टूट रहा है?
सात कारोबारी दिन से लगातार टूट रहा है शेयर
यस बैंक के शेयरों में लगातार सातवें कारोबारी सत्र में गिरावट आई है। यस बैंक का शेयर गिरकर एफपीओ प्राइस से नीचे आ गया है। इसमें हर दिन लोअर सर्किट लग रहा है। इस साल अब तक यस बैंक के शेयर 76 फीसदी गिर चुके हैं। एफपीओ का फ्लोर प्राइस जारी होने के बाद यस बैंक के शेयर 56 फीसदी गिर चुके हैं।
बैंक को जून तिमाही में महज 45 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। एक साल पहले समान तिमाही में हुए 114 करोड़ रुपए के लाभ की तुलना में यह 60 प्रतिशत कम है। बैंक का ग्रॉस एनपीए इसी दौरान 16.8 से बढ़कर 17.3 प्रतिशत हो गया है। शुद्ध एनपीए 5.03 से घटकर 4.96 प्रतिशत रहा है। बैंक एफपीओ से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कारोबार के विस्तार में करेगी। इनमें सॉल्वेंसू, कैपिटल एडेक्वेसी रेशियो और रेगुलेटरी जरूरतें भी शामिल हैं। इससे पहले गुरुवार को भी यस बैंक के शेयरों में 20 फीसदी का लोअर सर्किट लगा।