महाराष्ट्र में नए लॉकडाउन से बड़ा असर होगा, 40 हजार करोड़ का नुकसान
मुंबई– महाराष्ट्र में लॉकडाउन से देश को 40 हजार करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर ट्रेड, होटल और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को होगा। यह अनुमान केयर रेटिंग एजेंसी ने जताया है।
रेटिंग एजेंसी केयर ने कहा है कि इकोनॉमिक एक्टिविटी में 0.32% की गिरावट आ सकती है। एक हफ्ते पहले इस एजेंसी ने सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP ग्रोथ का अनुमान भी घटाकर 10.7 से 10.9% के बीच कर दिया है। पहले यह 11 से 12% की ग्रोथ का अनुमान था। देश के कुल कोरोना मरीजों की संख्या में महाराष्ट्र का अकेले का योगदान 60% से ज्यादा है। यहां पर सोमवार को 57 हजार से ज्यादा मरीजों की संख्या पाई गई थी।
राज्य में कोरोना के बढ़ते असर के कारण राज्य सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। इसके तहत रोजाना रात में और शुक्रवार की रात से सोमवार सुबह तक पूरा बंदी रहेगी। इसके तहत कुछ सीमित गतिविधियों को ही मंजूरी दी गई है। यह पाबंदी इस महीने के अंत तक रहेगी। चालू वित्त वर्ष में महाराष्ट्र का यह लॉकडाउन अकेले नहीं है। इसके पहले भी कई राज्यों ने आंशिक लॉकडाउन किया है। इसमें मध्य प्रदेश, गुजरात सहित कई राज्य हैं। एजेंसी का मानना है कि इससे प्रोडक्शन और खपत पर असर होगा।
पूरे राष्ट्रीय स्तर पर ग्रॉस वैल्यू अडेड का अनुमान इस वित्त वर्ष में 137.8 लाख करोड़ रुपए का है। इसमें महाराष्ट्र का योगदान 20.7 लाख करोड़ रुपए का है। लॉकडाउन से महाराष्ट्र को करीबन 2% का नुकसान हो सकता है। यह घाटा महाराष्ट्र के विभिन्न सेक्टर्स में होगा। एक महीने के लॉकडाउन से इस पर बड़ा असर दिखेगा। सेक्टर के नजरिए से देखें तो इसमें ट्रेड, होटल और ट्रांसपोर्ट ज्यादा घाटे में होंगे। इनको करीबन 15,722 करोड़ रुपए का घाटा होगा।
इसी तरह फाइनेंशियल सर्विसेस, रियल इस्टेट और पेशेवर सेवाओं पर असर होगा। इन सभी को 9,885 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। पब्लिक प्रशासन को 8,192 करोड़ रुपए का घाटा होने का अंदाजा है। एजेंसी ने कहा है कि देश की जीडीपी में महाराष्ट्र सबसे ज्यादा योगदान देने वाले राज्यों में से है। इसके बाद तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक हैं।
एजेंसी के मुताबिक, इस लॉकडाउन से ग्राहकों की ओर से आने वाली मांग में गिरावट आएगी। साथ ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी इसका असर दिखेगा। कम गतिविधियों के कारण पावर सेक्टर को भी नुकसान होगा। इससे ओवरऑल इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन पर असर होगा। कंस्ट्रक्शन और नए प्रोजेक्ट पर भी इसका बुरा असर दिखेगा।