टैरिफ का फायदा उठा रहा चीन, देश के प्रमुख बाजारों में चीनी वस्तुओं का बढ़ गया दबदबा
मुंबई- भारतीय वस्तुओं के निर्यात पर अमेरिका में लगे भारी टैरिफ का फायदा अब चीन उठा रहा है। इससे देश के कई प्रमुख बाजारों में चीनी वस्तुओं का दबदबा बढ़ रहा है। सतही तौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में 19 फीसदी की वृद्धि जरूर हुई लेकिन इसकी अगुवाई स्मार्टफोन ने की, जिसके निर्यात मूल्य में 2.4 अरब डॉलर की तेजी आई है। अधिकांश अन्य प्रमुख निर्यात श्रेणियों में तेजी से गिरावट आई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ दबाव और आक्रामक चीनी प्रतिस्पर्धा का यह मेल भारत की निर्यात क्षमता को कम कर रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स ही एकमात्र बेहतर क्षेत्र है। स्मार्टफोन ने इस क्षेत्र के निर्यात में 60 फीसदी का योगदान दिया। इसमें अक्तूबर में आईफोन का योगदान 1.6 अरब डॉलर था। लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि यह वास्तविक वृद्धि नहीं है।
आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि अक्तूबर में भारत के व्यापारिक निर्यात में भारी गिरावट आई। अधिकांश प्रमुख क्षेत्रों में भी गिरावट दर्ज की गई। यह कई वर्षों में पहली बार हुआ है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, लंबे समय में पहली बार भारत की शीर्ष दस निर्यात श्रेणियों में सामूहिक रूप से गिरावट आई है। यह व्यापार के मोर्चे पर वैश्विक और घरेलू दोनों दबावों को उजागर करता है।
इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 17 फीसदी घटा
निर्यात पोर्टफोलियो की रीढ़ इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 16.7 फीसदी गिरकर अक्तूबर में 9.37 अरब डॉलर पर आ गया। पेट्रोलियम उत्पाद 10.5 फीसदी घटकर 3.95 अरब डॉलर रह गया। दवाओं एवं फार्मा निर्यात में 5.2 फीसदी की कमी आई और यह 2.49 अरब डॉलर रह गया।
इनके निर्यात में सबसे अधिक कमी
क्षेत्र गिरावट
रत्न-आभूषण 29.5 फीसदी
प्लास्टिक उत्पाद 21.6 फीसदी
चावल 16.5 फीसदी
जैविक व केमिकल 21.0 फीसदी
सिले हुए कपड़े 12.9 फीसदी
सूती धागे 13.3 फीसदी
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र : 19.05 फीसदी तेजी
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र एकमात्र रहा है जिसमें सबसे ज्यादा 19.5 फीसदी की तेजी आई और यह 4.08 अरब डॉलर पर पहुंच गया। शीर्ष दस निर्यात श्रेणियां अक्तूबर, 2024 के 31.8 अरब डॉलर से घटकर 27.8 अरब डॉलर पर आ गईं। यानी 12.6 फीसदी की गिरावट। व्यापारिक निर्यात 38.98 अरब डॉलर से घटकर 34.38 अरब डॉलर रह गया। सेवाओं सहित कुल निर्यात गिरावट के साथ 72.89 अरब डॉलर रह गया।
चीनी कंपनियां लागत से कम कीमत वाले उत्पादों की ला रहीं बाढ़
विश्लेषक चीन की लगातार निर्यात रणनीति को एक प्रमुख कारक मानते हैं। चीनी कंपनियां वैश्विक बाजारों में लागत से कम कीमत वाले उत्पादों की बाढ़ ला रही हैं, जिसे आमतौर पर डंपिंग कहा जाता है। यह आक्रामक मूल्य निर्धारण भारतीय प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर करता है। इससे भारत की बाजार हिस्सेदारी की स्थिरता पर सवाल उठते हैं।
पारंपरिक बाजारों में अपनी जमीन खो रहा भारत
आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत अपने पारंपरिक बाजारों में अपनी जमीन खो रहा है। चीन लगातार विस्तार कर रहा है, खासकर यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में। अमेरिकी बाजार पर चीन की निर्भरता कम हो रही है। अक्तूबर में निर्यात 18 फीसदी घटा है। यह जानबूझकर विविधीकरण का संकेत है। विश्व व्यापार संगठन के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका, भारत, मेक्सिको और ब्राजील ने 2025 की पहली छमाही में चीनी वस्तुओं के खिलाफ 79 एंटी-डंपिंग जांच शुरू की हैं।

