राजकोषीय घाटा बढ़कर 8.25 लाख करोड़ , 18 लाख करोड़ राजस्व, खर्च 26.25 लाख करोड़

मुंबई- अप्रैल से अक्तूबर तक यानी इस वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में देश का राजकोषीय घाटा 8.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। यह वार्षिक अनुमानों का 52.6 फीसदी है, जो पिछले वर्ष के 46.5 फीसदी से अधिक है। सरकार का लक्ष्य इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.4 फीसदी तक कम करना है। यह एक साल पहले 4.8 फीसदी था।

अप्रैल से अक्तूबर के बीच कुल प्राप्तियां 18 लाख करोड़ रुपये रहीं। खर्च 26.25 लाख करोड़ रुपये रहा। ये इस वित्त वर्ष के बजट लक्ष्य का क्रमशः 51.5 फीसदी और 51.8 फीसदी था। पिछले वर्ष की समान अवधि में कुल प्राप्तियां अनुमान का 53.7 फीसदी थीं। खर्च एक वर्ष पहले के 51.3% से थोड़ा बढ़ा है। राजस्व प्राप्तियां 17.63 लाख करोड़ रुपये रहीं। इनमें से कर राजस्व 12.74 लाख करोड़ और गैर कर राजस्व 4.89 लाख करोड़ रहा। कर राजस्व पिछले वर्ष की इसी अवधि के 13.04 लाख करोड़ से बढ़कर 17.63 लाख करोड़ हो गया।

आरबीआई के लाभांश से गैर-कर राजस्व बढ़ा

भारतीय रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार के 2.69 लाख करोड़ रुपये के लाभांश को मंजूर किया था। इससे गैर-कर राजस्व में उछाल आया है। यह पिछले वर्ष के 2.11 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इससे केंद्र सरकार को अपना राजकोषीय घाटा कम करने में मदद मिलेगी। राजस्व घाटा 2.44 लाख करोड़ रुपये या वित्त वर्ष के बजट लक्ष्य का 46.7% रहा।

2.46 लाख करोड़ सब्सिडी पर खर्च

सरकार ने खाद्य, उर्वरक और पेट्रोलियम जैसी प्रमुख सब्सिडी पर लगभग 2.46 लाख करोड़ रुपये खर्च किए। यह संशोधित वार्षिक लक्ष्य का 64 फीसदी था। पिछले वर्ष की इसी अवधि के बजटीय व्यय के 65% से थोड़ा अधिक था। 2025-26 के लिए कम राजकोषीय घाटे का लक्ष्य मजबूत कर संग्रह की उम्मीदों पर टिका था। हालांकि सरकार लगातार पूंजीगत खर्च पर जोर दे रही है। यह उपभोग बढ़ाने, रोजगार सृजन और 2030 तक भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद के लिए बेहद जरूरी है।

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