नए श्रम कानून लागू होने से 77 लाख को मिलेंगी नौकरियां, 75,000 करोड़ की खपत में होगी वृद्धि
मुंबई-हाल में लागू हुए नए श्रम कानून देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बना सकते हैं। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार ये नए कानून बेरोजगारी को 1.3 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इन कानूनों को कैसे लागू किया जाता है, कंपनियों को समायोजन करने में कितनी लागत आती है और राज्यों के अपने नियम क्या होते हैं। अगर ऐसा होता है तो इसका मतलब है कि 77 लाख नए लोगों को रोजगार मिलेगा। इस नए लेबर कोड के कारण लोगों के वेतन ढांचे में भी बदलाव होगा।
एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा, यह गणना वर्तमान श्रम बल भागीदारी दर (15 वर्ष और उससे अधिक आयु) 60.1 प्रतिशत और ग्रामीण व शहरी कार्यबल की औसत कामकाजी आयु आबादी 70.7 प्रतिशत के आधार पर की गई है। इससे लोगों का खर्च बढ़ेगा जिससे बाजार में बड़ी रकम आएगी। यह रकम देश की अर्थव्यवस्था को तेजी देगी। लगभग 30 प्रतिशत की बचत दर के साथ इन कानूनों के लागू होने से प्रति व्यक्ति रोजाना 66 रुपये की खपत बढ़ेगी। इससे खपत में लगभग 75,000 करोड़ रुपये की वृद्धि हो सकती है। इसलिए, श्रम कानूनों का कार्यान्वयन खपत को एक बड़ा बढ़ावा देने के लिए तैयार है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए श्रम कानून लागू होने से कर्मचारी और कंपनियों दोनों को मजबूती मिलेगी। इससे ऐसे वर्कफोर्स का निर्माण होगा जो सुरक्षित, उत्पादक और काम की बदलती दुनिया के अनुरूप होगा। यह एक अधिक लचीले, प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर राष्ट्र का मार्ग तय करेगा।
एसबीआई के मुताबिक, भारत में वर्तमान में करीब 44 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। इनमें से 31 करोड़ श्रमिक ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं। यह मानते हुए कि इन श्रमिकों में से 20 फीसदी अनौपचारिक पेरोल से औपचारिक पेरोल पर चले जाते हैं और 10 करोड़ सीधे बेहतर नौकरी सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और औपचारिक रोजगार लाभों से लाभान्वित हो सकते हैं। इस बदलाव के साथ भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज अगले 2 से 3 वर्षों में 80 से 85 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है।
सरकार ने शुक्रवार को चार श्रम संहिताओं को लागू किया है। इनमें कोड ऑन वेजेज 2019, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 शामिल हैं। इन्होंने पुराने 29 कानूनों की जगह ली है। ये कानून 21 नवंबर से लागू हो गए हैं। ये सभी कानून आजादी से पहले बनाए गए थे। उस समय अर्थव्यवस्था और कार्य जगत मौलिक रूप से भिन्न थे।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2015 में कार्यबल के 19 फीसदी से बढ़कर 2025 में 64.3 प्रतिशत हो गया है। यह दर्शाता है कि भारत श्रमिकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करता है। 4 श्रम संहिताओं का कार्यान्वयन इस दिशा में अगला बड़ा कदम है, जो सामाजिक सुरक्षा के दायरे को और ज्यादा फैलाता है।
सेवानिवृत्ति लाभों में वृद्धि होने के कारण हाथ में आने वाला शुद्ध वेतन कम हो सकता है। साथ ही वेतन संहिता में यह अनिवार्य किया गया है कि मूल वेतन कंपनी पर लागत (सीटीसी) का कम से कम 50 फीसदी होगा। भारत में वर्तमान न्यूनतम मजदूरी दर 546 रुपये प्रति व्यक्ति रोजाना है। इसमें सभी श्रेणियों के श्रमिकों और सभी क्षेत्रों का औसत वेतन शामिल है। श्रम कानून के लागू होने से सभी श्रमिक न्यूनतम मजदूरी दर के हकदार होंगे।

