ऑक्टाएफएक्स पर ईडी की जांच, 800 करोड़ रुपये संदिग्ध आय का मामला सामने आया
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की मुंबई इकाई ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ऑक्टाएफएक्स की जांच कर रही है। आरोप है कि इस प्लेटफॉर्म ने भारत से लगभग 800 करोड़ रुपये की संदिग्ध आय अर्जित की। इसके प्रमोटर रूस में हैं, तकनीकी सहायता जॉर्जिया से संचालित होती है और भारत में इसका संचालन दुबई से होता है। प्लेटफॉर्म के सर्वर बार्सिलोना में हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जांच सीमा पार गतिविधियों के आधार पर की जा रही है, जिनमें अवैध आय को क्रिप्टोकरेंसी में बदलना और अंतरराष्ट्रीय भुगतान गेटवे का उपयोग शामिल है। ED के निष्कर्ष बताते हैं कि ऑक्टाएफएक्स साइप्रस में स्थापित है और यह विदेशी मुद्रा, कमोडिटी और क्रिप्टोकरेंसी में काम करता है।
ईडी ने कहा कि कुछ लेन-देन भारत से अवैध धन के प्रवाह को छिपाने के लिए सिंगापुर से नकली सेवाओं के आयात के रूप में किए गए। जांच में भारत और विदेशों में कुल 172 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की गई हैं, जिनमें शामिल हैं:
- एक नौका
- स्पेन में एक विला
- 36 करोड़ रुपये बैंक जमा
- 39,000 टेथर क्रिप्टोकरेंसी
- 80 करोड़ रुपये मूल्य के डीमैट और भूमि
साथ ही, कई अन्य प्लेटफॉर्म भी जांच के दायरे में हैं, जिनमें पावर बैंक (बंगलूरू), एंजेल वन, टीएम ट्रेडर्स, विवान ली (कोलकाता), जारा एफएक्स (कोच्चि) शामिल हैं। ये अलग-अलग शहरों में दर्ज कई एफआईआर से जुड़े हैं।
ईडी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर हुई साइबर धोखाधड़ी में बिरफा आईटी और संबंधित फर्में शामिल थीं, जिन्होंने बड़े पैमाने पर रकम को क्रिप्टो में बदलकर चीन भेजा। इन रकमों को नकली चालानों और लेजिंग सर्वर/एस्क्रो सेवाओं के भुगतान के रूप में उचित ठहराया गया। अकेले बिरफा मामले में 4,818 करोड़ रुपये हांगकांग और कनाडाई संस्थाओं को भेजे गए।
ईडी ने यह भी पाया कि 2024 में 36.4 लाख वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में भारतीयों को 22,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो 2023 के 7,465 करोड़ रुपये के नुकसान से लगभग दो गुना अधिक है। मामलों की संख्या में भी 50 फीसदी वृद्धि देखी गई। इनमें से कुछ धनराशि भुगतान गेटवे और हवाला के माध्यम से स्थानांतरित की गई।