गेहूं की पर्याप्त आपूर्ति से कीमतें स्थिर, खुले बाजार से बेचने की जरूरत नहीं

मुंबई- गेहूं की इस समय पर्याप्त आपूर्ति है। इससे कीमतें भी स्थिर हैं। इसलिए खुले बाजार हस्तक्षेप योजना (ओएमएसएस) के तहत सरकारी भंडार से गेहूं बेचने की कोई जरूरत नहीं है। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा, हमने काफी अच्छी मात्रा में खरीद की है। सभी निजी कंपनियों ने भी ऐसा ही किया है। इसलिए बाजार में पर्याप्त आपूर्ति है।

चोपड़ा ने कहा, ओएमएसएस का उद्देश्य कीमतों को स्थिर रखना होता है। पर कीमतें पहले से ही स्थिर हैं। भारत ने 2024-25 में ओएमएसएस के तहत लगभग 30 लाख टन गेहूं बेचा था। 2023-24 में यह लगभग एक करोड़ टन था। देश का गेहूं उत्पादन 2024-25 फसल वर्ष में रिकॉर्ड 11.75 करोड़ टन होने का अनुमान है। चोपड़ा ने कहा, सरकार 50 लाख टन चावल की बिक्री कर रही है। इससे पंजाब, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और हरियाणा सहित 4-5 राज्यों में टूटे हुए चावल की मात्रा 25 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत रह जाएगी।

चोपड़ा ने कहा, इसका उद्देश्य 100 प्रतिशत टूटे चावल का 15 प्रतिशत हिस्सा डिस्टिलरी और अन्य को बेचना है। शेष 10 प्रतिशत को निजी व्यापारियों को नीलाम करना है। यह बिक्री घरेलू बाजार के लिए है। मिलें 15 प्रतिशत टूटे चावल को अलग करने के लिए तैयार हैं। परिवहन, भंडारण और सुदृढ़ीकरण से बचने के लिए टूटे हुए चावल की नीलामी मिल स्थल से ही की जाएगी।

उन्होंने कहा, अभी टूटा हुआ चावल निजी कंपनियों को बेचा जा रहा है। शायद अगले चरण में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को भी हम शामिल करेंगे। 10 प्रतिशत टूटे चावल की पीडीएस बिक्री के लिए किसी खास क्षेत्र का चयन अभी संभव नहीं है। जब इसे शुरू किया जाएगा तो पूरे देश में किया जाएगा। ओएमएसएस के जरिये 50 लाख टन चावल की बिक्री की अनुमति देने से पहले 40,000 टन का एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया।

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