ये तीन भारतीय अमेरिका को देते हैं करोड़ों रुपयों का टैक्स, जानिए ये कौन हैं
मुंबई- अमेरिका में रहने वाले विदेशी मूल के अरबपतियों में सबसे ज्यादा संख्या अब भारतीयों की है। फोर्ब्स ने अमेरिका में रहने वाले 125 सबसे अमीर विदेशी मूल के नागरिकों की लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट में इजराइल, चीन और ताइवान को पीछे छोड़ते हुए भारत 12 अरबपतियों के साथ टॉप पर है।
अमेरिका में रहने वाले 51 लाख से ज्यादा भारतीय-अमेरिकन हर साल अमेरिका की इकोनॉमी में करीब 25 लाख करोड़ रुपये टैक्स के रूप में देते हैं। ये अमेरिका के कुल टैक्स का 5-6% है। अमेरिका में सबसे अमीर भारतीय जय चौधरी हैं। इनकी नेटवर्थ 1.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।
वहीं इस लिस्ट में दक्षिण अफ्रीका से आकर अमेरिका में बसे एलन मस्क पहले नंबर पर हैं। इनकी नेटवर्थ 33.82 लाख करोड़ रुपये है। दूसरे नंबर पर 11.97 लाख करोड़ की नेटवर्थ के साथ रूस के सर्गी ब्रिन हैं। तीसरे नंबर पर ताइवान के जेन्सेन हुआंग हैं। इनकी नेटवर्थ 12.24 लाख करोड़ रुपए है।
जय चौधरी: हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका में सफल बिजनेसमैन बने हैं। उन्होंने आईआईटी बीएचयू वाराणसी से पढ़ाई की और बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी से कई मास्टर्स डिग्री हासिल की। 1980 में अमेरिका आए जय चौधरी ने कई टेक्नोलॉजी कंपनियां शुरू कीं, जिनमें से सबसे प्रमुख है साइबर सिक्योरिटी कंपनी जस्कैलेर। जस्कैलेर के सीईओ और चेयरमैन के रूप में उन्होंने कंपनी को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है।
विनोद खोसला: पुणे के रहने वाले हैं और वे एक सफल उद्यमी व वेंचर कैपिटलिस्ट हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और बाद में कार्नेगी मेलॉन यूनिवर्सिटी से मास्टर्स व स्टैनफोर्ड से एमबीए किया। विनोद खोसला 1982 में पुणे से अमेरिका गए थे। 1982 में उन्होंने सन माइक्रोसिस्टम्स की स्थापना की, जिसने कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में कई बदलाव किए। बाद में उन्होंने वेंचर कैपिटल फर्म खोसला वेंचर्स शुरू की, जो टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और एआई स्टार्टअप्स में निवेश करती है।
राकेश गंगवाल: कोलकाता के रहने वाले हैं और वे इंडिगो एयरलाइंस के सह-संस्थापक हैं, जो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है। उन्होंने आईआईटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया। उन्होंने अपना एविएशन करियर यूनाइटेड एयरलाइंस से शुरू किया और बाद में यूएस एयरवेज के सीईओ और चेयरमैन भी रहे। 2006 में उन्होंने राहुल भाटिया के साथ मिलकर इंडिगो की स्थापना की, जिसने तेजी से सफलता हासिल की। गंगवाल ने आईआईटी कानपुर को कई बड़े दान किए हैं।

