भारत की दुर्लभ खनिज उत्पादन योजना में औद्योगिक समूहों की दिलचस्पी
मुंबई- दुर्लभ खनिज की कमी से जूझ रहे भारत ने अब इसके स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। इस प्रस्तावित योजना में कई बड़े औद्योगिक समूहों ने दिलचस्पी दिखाई है। भारत अब इस मामले में चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है।
भारत सरकार दुर्लभ खनिज का निर्माण करने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए 25 अरब रुपये के प्रोत्साहन कार्यक्रम की योजना बना रही है। अरबपति अनिल अग्रवाल की वेदांता समूह, सज्जन जिंदल की जेएसडब्ल्यू और इलेक्ट्रिक वाहनों के कलपुर्जों की निर्माता सोना बीएलडब्ल्यू प्रिसिजन उन कंपनियों में शामिल हैं जिन्होंने इस पहल में रुचि दिखाई है।
सूत्रों के अनुसार, नीति का खाका जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कार्यक्रम का अंतिम खर्च आंतरिक परामर्श के अधीन है और इसमें बदलाव हो सकता है। दुनिया के लगभग 90 फीसदी दुर्लभ खनिज प्रसंस्करण पर नियंत्रण रखने वाले चीन ने अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध के बाद इसके निर्यात पर रोक लगा दी है। इससे भारत में काम करने वाली कंपनियों सहित वैश्विक ऑटोमोबाइल निर्माताओं की आपूर्ति बाधित हुई हैं।
भारत का लक्ष्य सात वर्षों में स्थानीय स्तर पर खनन किए गए कच्चे माल का उपयोग करके लगभग 4,000 टन नियोडिमियम और प्रेजोडिमियम-आधारित चुम्बकों के उत्पादन में तीन से चार बड़ी कंपनियों को सहायता प्रदान करना है। इसकी निर्माण अवधि दो साल होगी और निर्माण शुरू होने के बाद पांच वर्षों में प्रोत्साहन दिए जाएंगे।