ओयो होटल संकट में फंसी, तीसरी बार आईपीओ लाने की योजना को टाली
मुंबई- ओयो होटल्स ने आईपीओ लाने की योजना को तीसरी बार टाल दिया है। कंपनी अक्तूबर में बाजार में लिस्ट होना चाहती थी। ओयो में निवेशक सॉफ्टबैंक का कहना है कि पहले कंपनी की कमाई मजबूत हो उसके बाद आईपीओ लाए। इसी वजह से ओयो को यह फैसला करना पड़ा है। ओयो का लक्ष्य अब 7 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर मार्च, 2026 तक सूचीबद्ध होना चाहती है।
ओयो ने 2021 और मार्च 2023 में प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ लाने की योजना को टाल दिया था। अगर इश्यू जल्द नहीं आता है तो ओयो के मालिक रितेश अग्रवाल को कर्ज चुकाने की समय सीमा का सामना करना पड़ेगा। पिछले सप्ताह एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स की भारतीय इकाई ने भी आईपीओ को कुछ तिमाहियों तक स्थगित करने का फैसला किया था। एथर एनर्जी ने आईपीओ का आकार छोटा और मूल्यांकन को आधा कर दिया।
OYO के संस्थापक रितेश अग्रवाल IPO जल्दी लाने के पक्ष में थे। दरअसल, उन्होंने साल 2019 में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 2.2 अरब डॉलर का लोन लिया था। इस कर्ज की पहली किस्त दिसंबर में चुकानी थी। ऋणदाता इस शर्त पर किश्त को आगे बढ़ाने को तैयार थे कि ओयो इस साल IPO लाए।
हालांकि अब ऐसा माना जा रहा है कि सॉफ्टबैंक, जिसने इस लोन की निजी गारंटी दी थी, रितेश अग्रवाल को किस्त चुकाने की समय-सीमा बढ़वाने में मदद कर सकता है, लेकिन इसके बदले में IPO को और टालना होगा। OYO ने पहली बार साल 2021 में IPO लाने की योजना बनाई थी, तब कंपनी की वैल्यूएशन 12 अरब डॉलर तक थी।