साइबर धोखाधड़ी में शामिल खातों को फ्रीज कर सकते हैं बैंक, मिल सकता है अधिकार
मुंबई- साइबर धोखाधड़ी में शामिल बैंक खातों को आने वाले समय में बैंक फ्रीज कर सकते हैं। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन यानी आईबीए इस तरह के अपराध को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी मांग सकता है। अगर यह मंजूर हो जाता है तो इस तरह के खातों को फ्रीज किया जा सकता है।
बैंकों का कहना है कि इस तरह के धोखाधड़ी वाले खातों को फ्रीज करने के लिए अधिकारियों से अनुमति लेने में कीमती समय बर्बाद होता है। बैंक आंतरिक कारणों के आधार पर खातों को फ्रीज तो कर देते हैं। लेकिन धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के अनुसार, उनके पास कोर्ट या कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) से की मंजूरी के बिना ग्राहकों के खातों को फ्रीज करने का अधिकार नहीं है। आईबीए के गठित कार्य समूह ने एक रिपोर्ट में कहा, हम इसे आरबीआई के समक्ष आगे विचार के लिए एक सुझाव के रूप में प्रस्तावित कर सकते हैं।
धोखाधड़ी करने वाले लोग बैंकिंग सिस्टम के जरिये अवैध धन को इधर-उधर करने के लिए फर्जी खातों का इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि बैंक हर साल ऐसे हजारों खातों को फ्रीज कर देते हैं, लेकिन धोखेबाज सिस्टम में मौजूद खामियों का इस्तेमाल करके जल्दी से नए खाते बना लेते हैं। इसमें कहा गया है कि बैंक उन खातों का सत्यापन और प्रतिबंध लगाने पर विचार कर सकते हैं, जिनका अवैध धन को ठिकाने लगाने के लिए दुरुपयोग होने की सबसे अधिक आशंका है।
बैंकों ने पैन न होने पर मतदाता पहचान पत्र और फॉर्म 60 का उपयोग करके खाते खोलने वाले व्यक्तियों के सत्यापन के लिए चुनाव आयोग के डाटाबेस का उपयोग करने का प्रस्ताव दिया है। ऐसे खातों पर लेनदेन को सीमित किया जा सकता है। आईबीए का सुझाव है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) को लेनदेन निगरानी प्रणालियों में एकीकृत करके बैंक मौजूदा कमियों को दूर कर सकते हैं।