42 लाख लोगों की नौकरी पर खतरा, मार्च में रोजगार घटकर 45.35 करोड़
मुंबई- रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं। मार्च में भारतीय श्रम बाजार सिकुड़ गया है। अनुमान है कि 42 लाख लोग नौकरी छोड़ देंगे। इनमें से कुछ ने नौकरी खो दी और कई लोगों ने रोजगार की तलाश बंद कर दी। फरवरी में श्रम बल 45.77 करोड़ से घटकर मार्च में 45.35 करोड़ रह गया है। नवंबर, 2024 के बाद से यह सबसे निचले स्तर पर है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक, फरवरी में 41.91 करोड़ रोजगार था जो मार्च में 41.85 करोड़ रह गया था। इससे पता चलता है कि रोजगार के अवसरों में गिरावट आई है। दिसंबर, 2024 में 42.2 करोड़ के स्तर से मार्च तक लगातार तीन महीनों तक रोजगार में गिरावट आई है। श्रम शक्ति और रोजगार में यह निरंतर गिरावट अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत देती है।
मार्च में बेरोजगारों की संख्या भी 3.86 करोड़ से घटकर 3.5 करोड़ रह गई। फरवरी की तुलना में मार्च में लगभग 36 लाख कम लोग सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश कर रहे थे। ये 36 लाख लोग संभवतः रोजगार के अवसरों की कमी के कारण मार्च में श्रम बाजारों से बाहर निकल गए। यह अधिक संभावना है कि वे निराशा में श्रम बाजारों से बाहर निकल गए हों। बेरोजगारों के श्रम बल से बाहर निकलने से बेरोजगारी दर में गिरावट आई है।
आमतौर पर, हर महीने बेरोजगारों की संख्या में लगभग दस लाख की शुद्ध वृद्धि होती है। मार्च, 2021 से मार्च, 2025 के दौरान प्रति माह औसत शुद्ध वृद्धि 9.90 लाख थी। बेरोजगारों की संख्या में कमी आने के कारण बेरोजगारी दर फरवरी में 8.4 प्रतिशत की तुलना में मार्च में 7.7 प्रतिशत पर आ गई। यह अजीब है, लेकिन सच है कि रोजगार के अवसर कम होने पर बेरोजगारी दर में भी कमी आ सकती है।
बेरोजगारी दर में गिरावट का मतलब है कि आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। लेकिन, जो हो रहा है वह बिलकुल उल्टा है। बेरोजगारी दर में कमी आ रही है, लेकिन साथ ही रोजगार के अवसर भी कम हो रहे हैं। दिसंबर में कामकाजी आयु वर्ग की 38 प्रतिशत से अधिक आबादी रोजगार में थी, जबकि मार्च 2025 में सिर्फ 37.7 प्रतिशत ही रोजगार में थी। ऐसा लगता है कि रोजगार दर 38 प्रतिशत से नीचे स्थिर हो गई है। कोरोना लॉकडाउन से पहले यह 39 प्रतिशत से ज्यादा थी।