अफगानिस्तान में 3 लाख सैनिक झुक गए, पर पांच महिलाएं अभी भी तालिबानियों से लड़ रही हैं

मुंबई-तालिबान ने बीते रविवार को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर भी कब्जा कर लिया। इससे पूरे देश पर उसका कंट्रोल हो गया है। जिन तालिबानियों के आगे 3 लाख अफगान सैनिक झुक गए, वहीं कुछ महिलाओं को इनकी हुकूमत मंजूर नहीं है।  

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के तीसरे ही दिन काबुल में 5 महिलाएं प्रदर्शन करती दिखीं। सामने हथियारबंद लड़ाके थे, जो महिलाओं को घर जाने के लिए कहते रहे। इन प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा कि हमें अधिकार चाहिए, जो 20 साल से हमें मिला हुआ था। हम पढ़ने और काम करने की स्वतंत्रता चाहते हैं। राजनीति में भागीदारी हमारा हक है। सोशल एक्टिविटी का अधिकार मिलना चाहिए। 

हाथ में पोस्टर लिए एक महिला ने कहा कि मौजूदा संविधान के हिसाब से अफगानिस्तान की महिलाओं को फंडामेंटल राइट दिया जाएं। अफगानिस्तान महिलाओं को इग्नोर नहीं कर सकता। अफगान महिलाओं की आवाज कोई भी सत्ता दबा नहीं सकती। 20 साल में अफगान महिलाओं ने जो कुछ हासिल किया है, उसे भूला न जाए। हम लड़ते रहेंगे।तालिबान ने कहा कि महिलाओं को शरिया कानून के तहत हक मिलेंगे। बुर्का पहनकर पढ़ने, काम करने की इजाजत होगी। 

तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि यह शरियत से जुड़ा मामला है और मुझे इस मामले में बस इतना ही कहना है कि हम शरियत के सिद्धांतों को नहीं बदल सकते हैं। कुछ तालिबान नेताओं का रहन-सहन और पहनावा बदला हुआ नजर आ सकता है, लेकिन संगठन की सोच नहीं बदली है। 

तालिबान ने अपनी छवि बदलने की कोशिश की है। उसने काबुल में महिलाओं को काम पर आने, बाजार जाने जैसी छूट दे दी है, लेकिन यह सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए है। बाकी प्रांतों में अभी ऐसा नहीं है। वहां महिलाएं खौफ की वजह से बाजार तो क्या, घर से बाहर तक नहीं निकल पा रहीं। 

काबुल की सड़कों पर चलते हुए लगता है कि बाजार धीरे-धीरे खुल रहा है। टॉप हस्तियों की फैंसी तस्वीरों वाले ब्यूटी पार्लर बंद हैं। शहर के कुछ हिस्सों में सड़कों के किनारे तालिबान लड़ाके अफगान पुलिस के वाहनों में गश्त कर रहे हैं। 

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