प्रमोटरों व शुरुआती निवेशकों ने आईपीओ में हिस्सा बेच कमाए 1 लाख करोड़

मुंबई- भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में रिकॉर्ड बना है। इस साल प्रमोटरों, प्राइवेट इक्विटी फंड्स और अन्य शुरुआती निवेशकों ने आईपीओ के जरिए 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है। अब तक आए 102 आईपीओ के जरिए कंपनियों ने 1.76 लाख करोड़ जुटाए हैं। इसमें से 63% यानी 1.11 लाख करोड़ रुपये उन शेयरधारकों के हिस्से में आए है जिन्होंने ओएफएस के जरिए हिस्सेदारी बेची है।

पिछले साल यह आंकड़ा 95,000 करोड़ रुपये था। हालांकि परसेंटेंज के हिसाब से देखें तो 2020 में यह सबसे अधिक 86.7% था। निवेशकों की बाहर निकलने की सबसे ज्यादा होड़ खासकर नए दौर की टेक्नोलॉजी कंपनियों और बड़े IPO में देखी गई है। एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स का 11,607 करोड़ रुपये का IPO पूरी तरह से ऑफर-फॉर-सेल (OFS) था। टाटा कैपिटल के 15,500 करोड़ रुपये के बड़े IPO में 8,600 करोड़ रुपये से ज्यादा OFS के जरिए आए। शुक्रवार को आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल AMC का 10,600 करोड़ रुपये का IPO आज सब्सक्रिप्शन के लिए खुला है। यह पूरी तरह से OFS है।

Lenskart के 7,278 करोड़ रुपये के IPO में 5,127 करोड़ रुपये मौजूदा निवेशकों के पास गए, जो कि 70% OFS था। Groww के पब्लिक डेब्यू में 5,572 करोड़ रुपये OFS के जरिए आए, जो कि ज्यादातर हिस्सा था। HDB फाइनेंशियल के 12,500 करोड़ रुपये के इश्यू में 10,000 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बिक्री शामिल थी, जबकि NSDL का 4,010 करोड़ रुपये का IPO पूरी तरह से बिकवाली थी।

इस ट्रेंड से यह चिंता पैदा हुई है कि PE फंड ऊंचे दामों पर अपनी हिस्सेदारी बेचकर निकल रहे हैं। खुदरा निवेशक इसमें पैसा लगा रहे हैं। बाजार के जानकारों का कहना है कि यह आलोचना गलत है। उनका तर्क है कि मौजूदा बाजार की स्थितियां उन्हें बाहर निकलने का एक तर्कसंगत मौका दे रही हैं।

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