एयरोस्पेस, ड्रोन और अंतरिक्ष क्षेत्र में दो लाख नौकरियों मिलने की संभावना
मुंबई- घरेलू एयरोस्पेस, ड्रोन और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उद्योग के 2033 तक पांच गुना से अधिक बढ़कर 44 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। इससे इंजीनियरों, शोधकर्ताओं, डाटा वैज्ञानिक जैसे अन्य पदों के लिए 2 लाख से अधिक नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। एडेको इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह उद्योग सरकारी सुधारों, निजी क्षेत्र की भागीदारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोगों के बल पर तेजी से अनुसंधान आधारित क्षेत्र से एक पूर्ण विकसित उद्योग में परिवर्तित हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिक्ष नीति विश्लेषक, रोबोटिक्स इंजीनियर, एवियोनिक्स विशेषज्ञ और मार्गदर्शन, नेविगेशन और नियंत्रण (जीएनसी) विशेषज्ञ जैसी नई भूमिकाएं भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण रूप से उभर रही हैं। एडेको इंडिया के निदेशक और जनरल स्टाफिंग के प्रमुख दीपेश गुप्ता ने कहा, मजबूत सरकारी दृष्टिकोण और जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ भारत वैश्विक अंतरिक्ष केंद्र बनने के लिए तैयार है।
बंगलूरू, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद और पुणे जैसे क्षेत्रों में अधिकतम अवसर मिलने की उम्मीद है। यहां एवियोनिक्स, क्रायोजेनिक्स, एटीट्यूड डिटरमिनेशन एंड कंट्रोल सिस्टम, रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ और स्पेस हैबिटेट इंजीनियर जैसे विशिष्ट पदों के लिए वेतन तकनीकी क्षेत्रों की तुलना में 20-30 प्रतिशत अधिक है। इस विकास के केंद्र में भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 जैसे सुधार, 250 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप का मजबूत आधार और नवाचार एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए इन-स्पेस के तहत 1,000 करोड़ रुपये का वेंचर कैपिटल फंड शामिल हैं।
11 अरब डॉलर का होगा निर्यात
वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार में दो फीसदी का योगदान दे रही है। 2033 तक 11 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य सरकार ने रखा है। इससे भारत वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में 7-8 प्रतिशत की हिस्सेदारी हासिल कर सकेगा।

