नए साल में नौकरियों की बहार, 52 फीसदी भारतीय कंपनियां करेंगी लोगों की जमकर भर्तियां

मुंबई- रोजगार तलाशने वालों के लिए अच्छी खबर है। नए साल में नौकरियों की बहार आने वाली है। देश की 52 फीसदी कंपनियां तीन महीने में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाएंगी। यह वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे मजबूत रोजगार परिदृश्य है। मैनपावर की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां स्किल, टेक्नोलॉजी और टैलेंट में तेजी से निवेश करेंगी।

रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर में भारत में 3051 नियोक्ताओं का सर्वे किया गया। यह कंपनियां क्वालिटी पर जोर दे रही हैं। भारत का हायरिंग आउटलुक न केवल मजबूत बना है, बल्कि आर्थिक विश्वास और क्षमता निर्माण के एक नए चरण की ओर इशारा भी कर रहा है। यह रुझान संख्या बढ़ाने के बजाय मूल्य निर्माण की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। संगठन उन क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं, जो अगले दशक में उनकी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को परिभाषित करेगा।

24 फीसदी कंपनियां यथावत रखेंगी संख्या

रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 प्रतिशत कंपनियां मौजूदा कर्मचारियों की संख्या बनाए रखेंगी। 11 प्रतिशत को भर्तियों के कम होने का अनुमान है। 2 प्रतिशत में भर्तियां बढ़ने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। पिछले एक वर्ष से एक सकारात्मक परिदृष्य के बावजूद भर्तियों की संख्या घटी है। एक सामान्य कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या 2026 की पहली तिमाही में 65 श्रमिकों तक बढ़ सकती है। यह 2025 की दूसरी तिमाही की तुलना में 60 प्रतिशत की गिरावट है।

सबसे अधिक नौकरी देने में दूसरे स्थान पर भारत

ब्राजील        54 फीसदी

भारत         52 फीसदी

यूएई         46 फीसदी

नीदरलैंड 36 फीसदी

आयरलैंड 31 फीसदी

स्वीडन 30 फीसदी

स्विट्जरलैंड 27 फीसदी

अमेरिका 27 फीसदी

इस्राइल 25 फीसदी

(आंकड़े जनवरी -मार्च, 2026 के हैं)

इसलिए भारत में सर्वाधिक भर्तियों का अनुमान

अर्थव्यवस्था के अपेक्षा से अधिक तेजी से बढ़ने के अनुमान से भारतीय बाजार सकारात्मक बना हुआ है। इसे अनुकूल मानसून से ग्रामीण मांग में वृद्धि और कम तेल कीमतों से समर्थन मिला है। इससे महंगाई को नियंत्रण में रखने में मदद मिली है।

बड़ी कंपनियां कर रहीं कटौती

1,000-4,999 कर्मचारियों वाली बड़ी फर्मों ने 2025 की दूसरी तिमाही से नियुक्तियों में 81 प्रतिशत की कटौती की हैं। बड़े उद्यमों में नियुक्ति में कमी को गलत समझा जाता है। यह रणनीतिक है, सतर्कतापूर्ण नहीं। कंपनियां कार्यबल मॉडल में बदलाव कर रही हैं।

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