भारत में सालाना 20 अरब डॉलर का आईपीओ जुटाना अब सामान्य, आकार और बढ़ने की उम्मीद
मुंबई। भारतीय कंपनियों के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के माध्यम से बड़ी पूंजी जुटाना अब आम बात हो गई है। निवेश बैंक जेपी मॉर्गन के अनुसार, भारत में हर वर्ष 20 अरब डॉलर के आसपास आईपीओ इश्यू आना अब सामान्य हो गया है, और आने वाले वर्षों में इसका आकार और बढ़ने की संभावना है। इस वित्त वर्ष में अब तक कंपनियों ने लगभग 21 अरब डॉलर जुटाए हैं, जो पिछले वर्ष के बराबर है।
जेपी मॉर्गन ने कहा कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल जैसे बड़े इश्यू, जिसकी राशि लगभग 10,000 करोड़ रुपये रही, को देखते हुए मौजूदा वर्ष में 23 अरब डॉलर से अधिक की रकम जुटने का अनुमान है। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक इस वित्त वर्ष के आईपीओ में लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा उपभोक्ता प्रौद्योगिकी और नए युग के व्यवसायों से आया है। अगले पांच वर्षों में इसका हिस्सा 30 प्रतिशत या उससे अधिक तक पहुंच सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 20 बड़े भारतीय स्टार्टअप—जिनका निजी बाजार में उच्च मूल्यांकन है—आईपीओ की तैयारी में जुटे हुए हैं। इनमें से चार से पांच कंपनियां ऐसे निर्गम ला सकती हैं, जिनका आकार एक अरब डॉलर से अधिक होगा। अनुमान है कि ये कंपनियां मिलकर 8 अरब डॉलर तक की राशि जुटा सकती हैं।
जेपी मॉर्गन का कहना है कि भारतीय बाजार ने पिछले वर्षों की कई चुनौतियों को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि निजी पूंजीगत खर्च अभी भी कमजोर है और यही कारण है कि योग्य संस्थागत निवेश (Qualified Institutional Placement) का प्रवाह अभी सीमित बना हुआ है। इस वर्ष संस्थागत प्लेसमेंट 65 अरब डॉलर पर सीमित रहने का अनुमान है, जबकि पिछले साल यह 72 अरब डॉलर रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका प्रमुख कारण बड़े क्यूआईपी इश्यू की कमी है। वर्ष 2024 में जहां 22 अरब डॉलर के क्यूआईपी आए थे, वहीं इस बार यह केवल 10 अरब डॉलर के स्तर पर है।
विश्लेषकों का मानना है कि मजबूत घरेलू निवेशक आधार, स्थिर आर्थिक वृद्धि और वैश्विक निवेशकों की दिलचस्पी के चलते भारत एशिया में आईपीओ के लिए सबसे आकर्षक बाजार बनकर उभर रहा है। आगामी वर्षों में नए स्टार्टअप, टेक्नोलॉजी आधारित कंपनियों और उपभोक्ता कारोबार के विस्तार से पूंजी बाजार का आकार और बढ़ने की संभावना है।

