तीसरी तिमाही में भी 8 फीसदी से ज्यादा रहेगी जीडीपी की वृद्धि, जीएसटी कमी का दिखेगा असर
मुंबई- चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.2 फीसदी की दर से बढ़ने के बाद देश की अर्थव्यवस्था के तीसरी तिमाही में भी 8 फीसदी से ज्यादा बढ़ने का अनुमान है। विश्लेषकों का कहना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती 22 सितंबर से लागू हुई थी। इसलिए इसका पूरा असर अक्तूबर से दिसंबर के बीच वाले आंकड़ों पर दिखेगा।
डेलॉइट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा, त्योहारी सीजन में खर्च और जीएसटी 2.0 की गति से तीसरी तिमाही में गतिविधियों को समर्थन मिलने की संभावना है। हम पूरे वर्ष के विकास अनुमानों में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद करते हैं। विश्लेषकों के मुताबिक, जीडीपी के आंकड़ों में त्योहारी और जीएसटी कमी का असर जीएसटी के आंकड़ों पर भी दिख रहा है। अक्तूबर में जीएसटी कलेक्शन 1,95,936 करोड़ रुपये रहा। नवंबर के आंकड़े दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाएंगे।
उम्मीदों से आगे निकली विकास दर
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, जीडीपी वृद्धि उम्मीदों से काफी आगे निकल गई। यह कुछ नरमी की व्यापक बाजार उम्मीद के विपरीत है। हालांकि सरकार के अंतिम उपभोग खर्च में कमी आई, जिसका नेतृत्व कमजोर राजस्व खर्च ने किया। लेकिन इन तिमाहियों के बीच सकल पूंजी निर्माण में वृद्धि धीमी रही। विसंगतियों ने पिछली तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पूरे वित्त वर्ष में अब जीडीपी वृद्धि दर की रफ्तार सात फीसदी से ऊपर रह सकती है।
नुकसान भी… तेज रफ्तार से दरों में कटौती की कम उम्मीद
विश्लेषकों का कहना है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8 प्रतिशत से अधिक होने के साथ दिसंबर में आरबीआई की समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की संभावना निश्चित रूप से कम हो गई है। भले ही अक्तूबर में खुदरा महंगाई के आंकड़े रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहे हों।
दूसरी तिमाही में सभी अनुमान पीछे
आरबीआई 7 फीसदी
एसबीआई 7.5 फीसदी
यूनियन बैंक 7.5 फीसदी
डीबीएस 7.2 फीसदी
डच बैंक 7.7 फीसदी
इक्रा 7 फीसदी
विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चालू वित्त वर्ष में 6.5 और 6.6 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया है। मूडीज रेटिंग्स ने कहा, 2025 में 7 प्रतिशत और अगले वर्ष 6.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत उभरते बाजारों और एशिया प्रशांत क्षेत्र में विकास का नेतृत्व करेगा।
6 तिमाहियों की वृद्धि दर
- पहली तिमाही (2025-26) 7.80%
- चौथी तिमाही (2024-25) 7.40%
- तीसरी तिमाही (2024-25) 6.20%
- दूसरी तिमाही (2024-25) 5.60%
- पहली तिमाही (2024-25) 6.50%
- चौथी तिमाही (2023-24) 7.4%
जीडीपी का मतलब
अर्थव्यवस्था की सेहत ट्रैक करने के लिए जीडीपी का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है।

