भारत में ग्रीन अर्थव्यवस्था में 360 लाख करोड़ रुपये का हो सकता है निवेश, 4.8 करोड़ नौकरियां
मुंबई- भारत में ग्रीन अर्थव्यवस्था में दो दशक के दौरान लाखों करोड़ रुपये का निवेश आ सकता है। साथ ही इससे करोड़ों नौकरियों का सृजन हो सकता है। काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत संचयी हरित निवेशों में 360 लाख करोड़ रुपये को आकर्षित करने की संभावना रखता है। साथ ही यह अध्ययन बताता है कि भारत 2047 तक सालाना 97.7 लाख करोड़ रुपये की ग्रीन मार्केट की संभावनाएं खोल सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर यह अपनी तरह का पहला आकलन है, जो ऊर्जागत परिवर्तन (एनर्जी ट्रांजिशन), सर्कुलर इकोनॉमी और बायो-इकोनॉमी व प्रकृति-आधारित समाधानों (नेचर बेस्ड सॉल्यूशंस) में 36 ग्रीन वैल्यू चेन्स को चिन्हित करता है।
पूर्व जी20 शेरपा, नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जीईसी के अध्यक्ष अमिताभ कांत ने कहा, “जिस तरह से भारत 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ रहा है, हम पश्चिम के विकास मॉडल का अनुसरण नहीं कर सकते है। हमारे अधिकांश बुनियादी ढांचे का निर्माण अभी बाकी है, इसलिए हमारे पास शहरों, उद्योगों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को सर्कुलेरिटी, स्वच्छ ऊर्जा और बायो इकोनॉमी के आस-पास निर्माण करने का एक अनूठा अवसर मौजूद है। हमें अब ग्रीन अर्थव्यवस्था में एक छलांग लगानी चाहिए। जहां दुनिया का अधिकांश हिस्सा पुरानी प्रणालियों में फंसा हुआ है।
सीईईडब्ल्यू के निदेशक (ग्रीन इकोनॉमी एंड इम्पैक्ट इनोवेशन) अभिषेक जैन ने कहा “ग्रीन अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ना भारत के लिए न केवल नौकरियां और आर्थिक समृद्धि लाएगा, बल्कि हमें आत्मनिर्भर बनाने के लिए भविष्य के ईंधन और संसाधनों को जुटाने में भी हमारी मदद करेगा। आज भारत अपनी जरूरत का 87 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर ऊर्जा और अगली पीढ़ी के बायो-एथनॉल व बायो-डीजल के साथ शून्य हो सकता है।”
सीईईडब्ल्यू की इस रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन अर्थव्यवस्था में 4.8 करोड़ नौकरियां सृजित करने की संभावना है। अकेले ऊर्जा परिवर्तन 1.66 करोड़ पूर्णकालिक समतुल्य नौकरियां सृजित कर सकता है और अक्षय ऊर्जा, भंडारण, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा व क्लीन मैन्युफैक्चरिंग में 3.79 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित कर सकता है।

