आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के चिल्ड्रन प्लान से पूरा करें बच्चों के सपने
मुंबई- अपने छोटे बच्चे के सपनों को साकार करने के लिए बच्चे का आर्थिक भविष्य संवारना अक्सर भारी-भरकम काम लगता है। पढ़ाई का खर्च बढ़ रहा है, बच्चों के सपने बदल रहे हैं और उनके बड़े लक्ष्यों के लिए लगातार, लंबे समय तक चलने वाली तैयारी चाहिए होती है। आमतौर पर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई या शादी जैसे लंबे लक्ष्यों के लिए उनके नाम पर ही एक अलग फंड बनाना पसंद करते हैं। यह फंड अक्सर जन्मदिन या खास मौकों पर मिली छोटी-छोटी रकम से शुरू होता है और फिर माता-पिता समय-समय पर इसमें नियमित रूप से पैसा जोड़ते रहते हैं।
बच्चे के भविष्य की योजना बनाने का एक अच्छा तरीका म्यूचुअल फंड की चिल्ड्रन स्कीमें हैं। इनमें अनुशासित निवेश का तरीका और लंबे समय में बेहतर बढ़त की संभावना दोनों मिलते हैं। आमतौर पर इन योजनाओं में पांच साल का लॉक-इन होता है, या फिर जब बच्चा बालिग हो जाए, जो भी पहले हो। यह व्यवस्था निवेशकों को लंबे समय तक जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित करती है और फंड मैनेजर को भरोसे के साथ विकास केंद्रित निवेश करने की स्वतंत्रता देती है। समय के साथ कंपाउंडिंग का असर इन पैसों पर गहराई से दिखता है और यह राशि अच्छी-खासी बढ़ जाती है।

चिल्ड्रन म्यूचुअल फंड के क्षेत्र में ICICI प्रूडेंशियल चिल्ड्रन फंड एक ऐसी योजना है जिसका लंबा और भरोसेमंद रिकॉर्ड रहा है और जिसने समय के साथ अच्छे रिटर्न दिए हैं। ICICI प्रूडेंशियल चिल्ड्रन फंड एक ओपन-एंडेड निवेश योजना है जो बच्चों के लिए बनाई गई है। इसमें कम से कम पांच साल का लॉक-इन होता है, या फिर जब बच्चा बालिग हो जाए, जैसा भी पहले हो। यह फंड इक्विटी और डेट दोनों प्रकार की संपत्तियों में निवेश करता है और जरूरत पड़ने पर बेंचमार्क से बाहर के विषयों में भी अवसर के अनुसार निवेश करने का फ़्रीडम रखता है।
इस योजना की खासियत इसका बदलते हालात के मुताबिक ढलने वाला निवेश तरीका (adaptive investment approach) है। यह किसी एक तय निवेश फॉर्मूले पर अडिग नहीं रहती, बल्कि बाजार की स्थिति के अनुसार कभी बचाव की मुद्रा में (defensive) तो कभी आक्रामक रुख अपनाती है। इससे फंड मैनेजर को समय-समय पर आर्थिक माहौल के हिसाब से उलट दिशा में भी कदम उठाने का अवसर मिलता है, जिससे पोर्टफोलियो में एक लचीलापन और जीवंतता बनी रहती है।
जब बाजार में स्थिरता की जरूरत हो, तो यह फंड अपनी हिस्सेदारी का करीब 35% तक डेट में ले जा सकता है। और जब माहौल अनुकूल हो, तो उसी तेजी से फिर इक्विटी में लौट भी सकता है। इससे एक तरफ बढ़त के अवसरों का लाभ मिलता है और दूसरी तरफ अनिश्चित समय में उतार-चढ़ाव का असर भी कुछ हद तक कम होता है।
कुल मिलाकर, ICICI प्रूडेंशियल चिल्ड्रन फंड उन अभिभावकों के लिए एक बेहतर विकल्प बनकर उभरता है जो अपने बच्चों की निवेश योजना में लचीलापन, सक्रिय फैसले और लंबी अवधि की सोच—इन तीनों का संतुलित मेल चाहते हैं।
अगर कोई व्यक्ति 31 अगस्त 2001 को इस फंड में 10 लाख रुपये निवेश करता, तो 31 अक्टूबर 2025 तक यह राशि बढ़कर लगभग 3.3 करोड़ रुपये हो जाती। यह 15.58% की उल्लेखनीय वार्षिक कंपाउंडेड वृद्धि है। इसकी तुलना में, बेंचमार्क में ऐसा ही निवेश करीब 2.12 करोड़ का होता। यानी सीएजीआर 13.46 पर्सेंट का रिटर्न मिला है।
इस फंड के SIP रिटर्न भी कमाल के रहे हैं। अगर शुरुआत से हर महीने 10,000 रुपये की SIP की जाती, तो कुल 29 लाख का निवेश 31 अक्तूबर, 2025 तक 2.2 करोड़ रुपये का हो जाता। अगर पिछले 15 साल से निवेश कर रहे होते तो 18 लाख का योगदान बढ़कर 55 लाख रुपये से ज्यादा हो जाता। इसका मतलब सालाना 13.76 फीसदी की दर से रिटर्न मिला है। इसी अवधि में बेंचमार्क 11.88% सीएजीआर देता। पिछले एक, तीन और पांच साल में भी फंड ने लगातार अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया है।
जल्दी निवेश करना क्यों जरूरी है
मान लीजिए कि किसी अभिभावक को अपने बच्चे के 18 साल का होने तक 50 लाख रुपये की राशि तैयार करनी है। अगर पहले माता-पिता (A) ने बच्चे के जन्म के समय ही निवेश शुरू किया, तो 18 साल की अवधि में 12% की मान्य वृद्धि दर (assumed rate of return) पर उन्हें हर महीने 6,598 रुपये निवेश करने होंगे। कुल मिलाकर 14.25 लाख रुपये का योगदान करना पड़ेगा। अगर दूसरे माता-पिता (B) ने बच्चे के छह साल का होने पर निवेश शुरू किया, तो 12 साल में उन्हें हर महीने 15,571 रुपये का निवेश करना होता। इसका मतलब कुल 22.56 लाख रुपये लगाने होते।
अगर तीसरे माता-पिता (C) ने निवेश तब शुरू किया जब बच्चा 12 साल का हुआ, तो 12% की वृद्धि दर पर उन्हें हर महीने 47,751 रुपये लगाने होंगे और कुल योगदान 34.38 लाख रुपये तक पहुंच जाएगा। यानि, लक्ष्य एक ही हो लेकिन देरी करने वालों को कहीं ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। माता-पिता B को A की तुलना में 12.3 लाख और C को 20.13 लाख रुपये अधिक निवेश करने पड़ेंगे। यही है निवेश में देरी की वास्तविक लागत।
अंत में, बात फिर वहीं आती है। निवेश जितना जल्दी शुरू होगा, लंबे समय वाले इक्विटी निवेश की शक्ति उतनी ही प्रभावी होगी। माता-पिता चाहें तो बहुत सधी हुई रफ्तार से बच्चे के सपनों जैसा उज्ज्वल भविष्य गढ़ सकते हैं। बस सही फैसले लेकर सही समय यानि कि आज से ही शुरुआत करनी होगी।

