टमाटर फिर रसोई का बजट बिगाड़ने लगा: 15 दिन में 50% उछाल, बारिश से फसलें खराब, मांग बढ़ने से दाम और चढ़े
टमाटर एक बार फिर आम परिवारों की रसोई का संतुलन बिगाड़ने लगे हैं। बीते 15 दिनों में कीमतों में 50% तक का उछाल दर्ज किया गया है, जबकि कई शहरों में दाम दोगुने के करीब पहुंच गए हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है अक्टूबर में हुई लगातार भारी बारिश, जिसने दक्षिण और पश्चिम भारत में टमाटर की फसलों को गंभीर क्षति पहुंचाई। फसलें खराब होने से बाजार में सप्लाई तेज़ी से घट गई और कीमतें चढ़ गईं।
सर्वाधिक झटका चंडीगढ़ को, दाम 112% बढ़े
उपभोक्ता मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक एक महीने में खुदरा कीमतों में 25% से 100% तक बढ़ोतरी हुई है। 19 नवंबर को औसत कीमत 46 रुपये/किलो, जबकि एक माह पहले 36 रुपये/किलो यानी 27% की औसत वृद्धि हुई। सबसे ज्यादा महंगाई चंडीगढ़ में, जहां दाम 112% तक उछल गए। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में भी कीमतें 40% से ज्यादा बढ़ी हैं। कई बड़े शहरों में अच्छी गुणवत्ता वाला टमाटर 60 से 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
बारिश से फसल चौपट, ट्रकों की संख्या आधी, सप्लाई में बड़ी गिरावट
1. कारोबारियों के अनुसार, सप्लाई संकट लगातार बढ़ रहा है।
2. कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात से आने वाले ट्रक पिछले एक सप्ताह में लगभग आधे रह गए।
3. महाराष्ट्र में नवंबर में थोक कीमतें 45% बढ़ीं
4. दिल्ली में थोक दाम 26% उछले
5. बारिश के कारण खेतों में खड़ी फसलें खराब हो गईं, जिससे मंडियों में आवक तेजी से घटी।
शादी और न्यू ईयर सीजन ने और बढ़ाई मांग
मंडी व्यापारियों का कहना है कि इस समय मांग सामान्य से कहीं ज्यादा है:
1. शादी का सीजन
2. होटल–रेस्टोरेंट की मांग
3. न्यू ईयर सेलिब्रेशन की तैयारियां
सप्लाई कम और मांग ज्यादा होने के कारण दाम कम होने की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही।
अक्टूबर में -42.9% थी टमाटर की महंगाई, नवंबर में पूरी तस्वीर बदल गई
सितंबर–अक्टूबर में टमाटर, आलू और प्याज के दाम गिरने से खुदरा महंगाई 0.25% तक आ गई थी—जो 2013 के बाद सबसे निचला स्तर था।
- अक्टूबर में टमाटर की महंगाई -42.9% थी, यानी बेहद सस्ती उपलब्धता।
- लेकिन नवंबर में बारिश और सीजनल डिमांड के कारण स्थिति बिल्कुल उलट गई।
आने वाले दिनों में क्या राहत मिलेगी?
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार:
- बारिश से खराब हुई फसलों का असर अभी कुछ हफ्तों तक जारी रहेगा
- नई फसल की आवक बढ़ने से ही कीमतों में गिरावट संभव
- दिसंबर के पहले सप्ताह तक बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं
- फिलहाल टमाटर की कीमतें रसोई का बजट और बढ़ा सकती हैं।

