महंगाई की चिंता कम होने से 76.6 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने बढ़ाया खर्च

मुंबई- महंगाई की चिंता कम होने से 76.6 फीसदी ग्रामीण परिवारों ने खर्च बढ़ा दिया है। नाबार्ड के ग्रामीण आर्थिक स्थिति और भावना सर्वेक्षण (आरईसीएसएस) के मुताबिक, ग्रामीण आर्थिक स्थिति में तेजी के संकेत मिल रहे हैं। 78.4 फीसदी से अधिक परिवारों का मानना है कि वर्तमान महंगाई दर 5 प्रतिशत या उससे कम है, जो बेहतर मूल्य स्थिरता को दर्शाता है।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के मुताबिक, ग्रामीण महंगाई मार्च में 3.25 प्रतिशत से घटकर अप्रैल में 2.92 फीसदी और मई में 2.59 प्रतिशत हो गई। खाद्य मुद्रास्फीति भी मई में घटकर 1.36 फीसदी रह गई। वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। 20.6 फीसदी परिवारों ने कहा, उनकी बचत अधिक हो रही है। 52.6 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो केवल औपचारिक संस्थानों से कर्ज लिए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज के विभिन्न अनौपचारिक स्रोतों में मित्रों और रिश्तेदारों का हिस्सा साहूकारों के हिस्से से अधिक थी। अनौपचारिक कर्ज पर औसत ब्याज दर में लगभग 0.30 फीसदी की कमी आई है। आशावाद के संबंध में 74.7 प्रतिशत लोगों को अगले वर्ष आय में वृद्धि की उम्मीद है। 56.2 प्रतिशत से अधिक लोगों को अल्पावधि में बेहतर रोजगार की संभावना का अनुमान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह निष्कर्ष ग्रामीण भारत में बढ़ती आय, बढ़ते वित्तीय समावेशन और बढ़ते घरेलू आशावाद की एक उत्साहजनक तस्वीर पेश करते हैं। आय और खर्च के स्तर को केंद्र और राज्यों दोनों की ओर से वस्तु और नकद, दोनों रूपों में कई राजकोषीय हस्तांतरण योजनाओं से लगातार मजबूती मिल रही है। इनमें भोजन, बिजली, रसोई गैस, खाद पर सब्सिडी और स्कूल की जरूरतों के लिए सहायता, परिवहन, भोजन, पेंशन और ब्याज सब्सिडी शामिल हैं। ये ट्रांसफर एक परिवार की मासिक आय का औसतन लगभग 10 प्रतिशत होता है।

सर्वे के अनुसार, ये हस्तक्षेप घरेलू लचीलेपन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाते हैं। वित्तीय दबाव को कम करते हैं, खासकर कमजोर आबादी के लिए। बुनियादी ढांचे जैसे सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के बारे में बेहतर धारणा भी सामने आई। केवल 2.6 प्रतिशत परिवारों ने माना कि बुनियादी सेवाओं को लेकर उनकी धारणा कमजोर हुई है।

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